________________
३. टोकरजी
सुखदाय।
हरनाथजी ताय, भारीमाल घणा समझी लागा पूज रै पाय रे ॥ मन प्यारा, ४. वीरभांणजी पिण तिणवार, आदर्या भीक्खू वयण उदार । आवै सोजत सैहर मझार रे || मन प्यारा,
कीया अवलोय ।
५.
विचै गांम नांन्हा जांणी सोय, दोय साथ सीख इण पर दीधी जोय रे ॥ मन प्यारा,
६. वीरभांणजी
७. पहिला बात सुण्यां भिड़काय,
नै कहै वाय, तो या बात म करजो
१०
जो थे पहिला जाओ गुरु पाय । काय रे । मन प्यारा, मनखंच
तौ पछै समजाया दोहरा जाय रे । मन प्यारा,
८. नेम तौ ते आपां रा गुर है, मन खंच्या 'बीभड़िया' पछै' काम न सरहै रे ॥ मन प्यारा, ९. कळा - विनय करी हूं कैहसूं', दिल श्रद्धा बेसाणी
युक्ति सूं समजाई लेसूं रे || मन प्यारा, १०. स्वांमी एम त्यां नै समजाया, वीरभाणजी आगूंच रुघनाथजी सोजत पाया रे ॥ मन प्यारा, द्रव्य-गुरु
११. कर जोड़ी नै वंदना कीधी, पूछै
१. कांय (क) ।
२. प्रथम ।
३. बिखरने के बाद। बिगड़िया (क ) ।
हुवै मन
४.
माय।
समजणा दुक्कर है।
देसूं।
भाया री संका मेट दीधी रे ॥ मन प्यारा, १२. वीरभांणजी बोल्या वायो- भाया तौ मन संक हुवै तौ मिटायो रे । मन प्यारा,
१४. वस्त्र - पातर
दिख्या देवां ।
१३. आधाकर्मी थांनक असुद्ध आहार, विण कारण नित्यपिंड वार । आंपें भोगवां ए अणाचार रे ॥ मन प्यारा, अधिका सेवां, विण आगन्या विवेक - विकल भणी मूंड लेवां रे ॥ मन प्यारा, १५. दिन-रात्रि मैं जड़ां किवाड़ इत्यादि बहु दोष विचार । त्यांरी थाप आंपां रै धार रै || मन प्यारा, तिण मैं द्रव्य - गुरु निसुणी ए बात रे । मन प्यारा,
"
१६. भाया तौ कहै साची साख्यात,
झूठ नहीं तिलमात ।
. कहस्यूं (क) ।
५. साचो (क) ।
आया।
प्रसीधी।
साचा भेदज पायो ।
भिक्खु जश रसायण