Book Title: Bhikkhu Jash Rasayan
Author(s): Jayacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 370
________________ परिशिष्ट-३ सूक्तियां/लोकोक्तियां १ अधम पुरुष दुख ऊपनां, करै हाय - तराय। समचित वेदन नां सहै, पापे पिंड भराय॥ __ढा. २ गाथा १५ २ जो साचा नै झूठा कहूं, तो परभव रै मांय। जीभ पांमणी दोहिली, विविधपणे दुख पाय॥ ढा. ३, दूहा ३ ३ द्वेष स्यूं तुरत नर ना डिगै रे, राग दै तुरत चलाय॥ ढा.५ गाथा ११ ४ औषध जीभ आंख्यां तणौ, आंहमौ सांहमौ होघाल्या दोनूं विलाय। ___ ज्यूं अव्रत में धर्म सरधीयां, पाप वरत में हो सरध्यां दुरगति जाय।। ढा. १९ गाथा ११ ५ सोरीगर रा घर में सोर वासदी, न्यारा राख्यां हो घर विणसै नाय। ज्यूं व्रत अव्रत फळ जूजुआ, जन जांण्या हो, समगत न जळाय॥ ढा. १९ गाथा १२ ६ प्रगट पसारी रै पारखा, न्यारा राखै मिश्री सोमल न्हाळ। ____ ज्यू धर्म अधर्म खातौ जूजूऔ, सैंठी समगत सुद्ध सरध्यां संभाळ॥ ढा. १९ गाथा १३ ७ जिण मारग मैं देखलौ, गुण लारै पूजाह। निगुणां नै पूजै तिके, ते मार्ग दूजाह॥ ढा. २५ दूहा ७ ८ गुण गोळी सीरै भरी, पुरस्यां पांत धपाय। गुण विण ठाली ठीकरौ, देख्यां भूख न जाय॥ ढा. २५ दूहा ८ ९ करड़ो रोग उठ्यौ गंभीर केरौ, मृदु कुंजाळ्यां केम मिटायौ। ढा. २७ गाथा ९ १० हलवांणी रा डांम लागां हुवै हळको, गंभीर रोग गिणायौ॥ ढा. २७ गाथा १० THEATRE सूक्तियां/लोकोक्तियां ३२३

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