Book Title: Bhikkhu Jash Rasayan
Author(s): Jayacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 376
________________ ५९ सळ कोई मत राखजयो (रावण दिग्जय चालियो) ( खिम्या धरम पहलो करो) ६० सहेल्यां ए वांदो रुड़ा साध (एक चोर चोरे धन पारको) ६१ सायर लैहर ज्यूं जाणे जी ६२ सिंहल नृप कहै चन्द नै ६३ सीता आवै रे धर राग ६४ सीता दीयै रे ओळं भड़ा (विनवै राणी रुक्मणी ) ६५ सीता विभीषण नै कहै निशंक स्यूं (आज सैहर में बाई गोपीचंद दीठो) (ए संसार हटवाड़ा नो मेलो) (सूरां वीरां रो ओ शुद्ध मारग) ६६ सुण चिरताली थारा लीजे चरित संभाळी (सुणजो नरनाथ जो ) ६७ सुण सुण रे सीख सयाणा ६८ सुमित्रनन्दन श्री मुनिसुव्रत (भरतजीभूप भया छो वैरागी) ६९ सुविधि भजिये शिरनामी हो (सोही तेरापंथ पावै हो) ७० स्वामी रायचंद राजा ७१ हरिया नै रंग भरिया जी (विदेह क्षेत्र विहरंताजी जयवंता ) ७२ हां रा मेवासी नान्ही सी नणदोली रा ७३ हिवै राणी नै हो समझावै पंडिता धाय ७४ हो म्हारा राजा रा प्रस्तुत ग्रंथ में प्रयुक्त धुनें (देसियां) ११८ २९७ १९३ २५ २०९ ५३ ८५ १०५, २३१ १८ ८८ २१ ३३ . १४८, २४५, २८३ २२५ १२ ८२ ३२९

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