Book Title: Bhartuhari Shataktrayam Satik
Author(s):
Publisher: Kisandas
View full book text
________________
Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir
माघूधातर्यन्तमाकुन्निनानिमक्षाणितिमाहियेषुएवंद्रता:कटाक्षा:स्लिम्बास्नेहयुक्तावापोलमालझायुका
हासालीलयास्वभावेनमन्दंशनैःप्रस्थितंषयास्थितंचास्त्रीगाएतेपदार्था:भूषामायुधंधनतिशाष यमसमागमोजातोयासांतानवोदास्तासांनवोढानांवदनान्येवकमलानिधिलित नेत्राणिचलिता। निचलानियेत:स्फुरनीलालानाषकससमुदायस्तनपरिपूणीश्वयोजयन्तिावदनानिकमलानिते।
चातुर्माकुञ्चितात्ताकटाहास्निग्यावाचोलजितावहासालालामन्दस्थितचा स्थितंचस्त्रीयामेतभूषएंधायुधंधाशशकविसुभ्व चिदपिचलतापरिणतः॥क पिनमात्रिकचिदपिचलीलाविलसितैःनवोदानामनिर्वदनकमलेर्नेत्रिचलितःस्फुरस नीलालीनांधकरमरियूश्विशाणाकुडकुमयंककलङ्ककितदेहागोरसयोधरकम्पि नहारानपुरहंसरासदपमानवशाकुरुतेक्षविरामा॥५ ॥ ॥ धुनेलितानितरायनमरास्ते पूर्ण निरश्यन्तेकथंनतर्वदनैःकश्चित्सभ्यूनगावोगाश्चलमानियेपुरा तकवितलजयाविलसितैःशोभितः वदनेशकुड़कुमस्ययड्काकर्दमातेनकलकित देंहीयस्या सागोरोचतीपयोधरीस्तनोतान्यांकम्मिताहारोयस्यांसानूपुराण्येवहंसालेरणत्तिसाधान्येवपदानिय स्यासारवंतारामारमयतीतिरामास्त्रीविरुवशीनरुतेक रोत्येवेत्यर्थः॥4॥ ॥ ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102