Book Title: Bhartiya Sahitya ke Nirmata Anandghan
Author(s): Kumarpal Desai
Publisher: Sahitya Academy

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Page 16
________________ जीवन : 11 टिप्पण 5. 'राजपूताने का इतिहास', दूसरी जिल्द, ग्रंथकर्ता श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा, वि. सं. 1688, पृ. 790 'Tazuk-i-Jahangiri', Vol.1, p. 401 'Imperial Mughal Farmans in Gujarat', M. S. Commissariat, Journal of the University of Bombay, Vol. IX, Part I, p. 39-41 'मिराते अहमदी', मूल लेखक : श्री अली महुम्मदखान, अनुवादक : श्री निझामुद्दीन चिस्ती, ई. स. 1913 ‘श्री आनंदघनजीनां पदो', लेखक : मोतीचंद गिरधरलाल कापडिया, पृ. 65, ई. स. 1956 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास', लेखक : मोहनलाल दलीचंद देसाई, पृ. 547, ई. स. 1933 7. 'History of Gujarat', Vol. II, M.S.Commissariat, p.242 'शांतिचंद्र उपाध्यायकृत भानुचंद्रचरित्र', संपादक : मो. द. देसाई, पृ. 552 'Ain-I-Akbari by Abul Fazl-I-Allami', By. Colonel H. S. Jarrett, Revised by Sri Jadunath Sarkar "जैन ऐतिहासिक रासमाळा' भाग-१, संशोधक : मोहनलाल दलीचंद देसाई, प्रथम आवृत्ति, पृ. 43, वि. सं. 1969 11. 'श्री आनंदघन पदसंग्रह', रचयिता : आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी, पृ. 125, ई. स. 1954 12. 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास', लेखक : मोहनलाल दलीचंद देसाई, पृ. 562, ई. स. 1933 13. इसी लेखक की पुस्तक 'आनंदघन : एक अध्ययन में संशोधन के बाद दी गयी हस्तप्रतोंकी प्रशिष्ट वाचना में से : स्तवन 14, गाथा 3 'श्रीमद् यशोविजयोपाध्याय विरचित गूर्जर साहित्य संग्रह', प्रथम विभाग, प्रकाशक : शाह बावचंद गोपालजी, प्रथम आवृत्ति, पृ. 212 'आनंदघन : एक अध्ययन', संपा. कुमारपाळ देसाई, ई. स. 1980, स्तवन, 2 :3 16. वही । स्तवन 2 : 4 17. वही । स्तवन 4:1 18. वही । स्तवन 20:7 19. वही । स्तवन 15 : 6 20. वही । स्तवन 12 : 6 21. वही । स्तवन 16 : 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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