Book Title: Bhartiya Sahitya ke Nirmata Anandghan
Author(s): Kumarpal Desai
Publisher: Sahitya Academy

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Page 80
________________ संदर्भ ग्रंथसूची : 75 10. गुर्जर कवियों की हिन्दी साहित्य को देन : डॉ. हरीश शुक्ल 11. संत साहित्य : डॉ. सुदर्शन सिंह मजीठिया, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली 12. संतकवि आनंदघन एवं उनकी पदावलि : लेखिका एवं प्रकाशक श्रीमती मंजु महिमा भटनागर, अहमदाबाद-51 (2001) 13. संत साहित्य के प्रेरणास्रोत- आचार्य परशुराम चतुर्वेदी, प्रकाशक - राजपाल एन्ड सन्स, दिल्ही-6 (1975) 14. हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि : ले. डॉ. प्रेमसागर जैना प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी- (1964) 15. हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में गुजरात का योगदान : सं. डॉ. रामकुमार गुप्त, हिन्दी साहित्य परिषद 16. हिन्दी संत काव्यमें प्रतीक विधान : ले. डॉ. देवेन्द्र आर्य, प्रकाशक - इन्दु प्रकाशन - दिल्ही-51 (ई. 1971) 17. हिन्दी साहित्य (उसका उद्भव और विकास) : ले. : डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी - 1964, प्रकाशक - हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर (प्राईवेट) लिमिटेड, मुंबई । लेख 1. “जैन मरमी आनंदघन का काव्य" : ले. आचार्य क्षितिमोहन सेन-अंक ____ 'वीणा', पृ. 3 से 12 (1938) “जैन योगीराज आनंदघनजी संबंधी कुछ ज्ञातव्य बातें" : ले. : श्री अगरचन्द नाहटा, 'जैन', 18 अक्तूबर-69, वर्ष - 66, अंक - 39 “महान संत आनंदघन और उनकी रचनाओं पर विचार" : ले. श्री अगरचंदजी नाहटा, अंक - ‘वीरवाणी' 2/3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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