Book Title: Balbodh Pathmala 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 10
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates लोक में चार उत्तम हैं। अरहंत भगवान उत्तम हैं, सिद्ध भगवान उत्तम हैं, साधु (प्राचार्य, उपाध्याय और साधु) उत्तम हैं तथा केवली भगवान द्वारा बताया हुअा वीतराग धर्म उत्तम हैं। लोक में जो सबसे महान् हो, उसे उत्तम कहते हैं। लोक में ये चारों सबसे महान् हैं, अतः उत्तम हैं। मैं चारो की शरण में जाता हूँ। अरहंत भगवान की शरण में जाता हूँ, सिद्ध भगवान की शरण में जाता हूँ, साधुओं (आचार्य, उपाध्याय और साधु) की शरण में जाता हूँ और केवली भगवान द्वारा बताये गये वीतराग धर्म की शरण में जाता हूँ। शरण सहारे को कहते हैं। पंचपरमेष्ठी द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलकर अपनी आत्मा की शरण लेना ही पंचपरमेष्ठी की शरण हैं। जो व्यक्ति पंचपरमेष्ठी की शरण लेता है उसका कल्याण होता है अर्थात् दुःख (भव-भ्रमण) मिट जाता है। प्रश्न - १. मंगल , उत्तम और शरण शब्द का अर्थ समझाइये। २. हमें किसकी शरण लेना चाहिए ? ३. आत्मा का हित किस बात में हैं ? ४. चत्तारि मंगलं आदि पाठ को शुद्ध बोलिए। ५. पंचपरमेष्ठी की शरण का क्या अर्थ है ? Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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