Book Title: Balbodh Pathmala 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 20
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ छठवाँ दिनचर्या अध्यापक – बालको! अाज हम तुम्हारे नाखून और दाँत देखेंगे। अच्छा, बोलो रमेश! तुम कितने दिनों से नहीं नहाये ? रमेश - जी, मैं तो रोज नहाता हूँ। अध्यापक – प्रतिदिन नहाने वाले के हाथ-पैर इतने गंदे नहीं होते है। हो सकता है तुम रोज नहाते हो, पर दो लोटे पानी सिर पर डाल लेना ही नहाना नहीं हैं, हमें अच्छी तरह मल-मल कर नहाना चाहिए। इसी प्रकार हमें अपने दाँत साफ करने के लिये प्रतिदिन प्रातःकाल मंजन भी करना चाहिए। जो बच्चे मंजन नहीं करते हैं उनके मुँह से बदबू आती रहती हैं, उनके दाँत कमजोर हो जाते हैं और गिर जाते हैं। सुरेश - गुरुजी! मैं तो शाम को नहाता हूँ । अध्यापक – नहीं, हमें प्रत्येक काम समय पर करना चाहिये। तभी ठीक रहता है। हमें प्रतिदिन की दिनचर्या बना लेना चाहिए और फिर उसके अनुसार अपना दैनिक कार्य निबटाना चाहिए। १७ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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