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एक वर्ष बाद अक्षय तृतीया के दिन ऋषभ मुनि का सर्वप्रथम आहार राजा श्रेयांस के यहाँ इक्षुरस (गन्ने का रस) का हुआ। उसी
दिन से अक्षय तृतीया पर्व चल पड़ा। बेटी - क्या वे मुनि होते ही सर्वज्ञ बन गये थे ? माँ - नहीं बेटी! एक हजार वर्ष तक बराबर मौन आत्म-साधना करते रहे।
एक दिन प्रात्म-तल्लीनता की दशा में उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और वे वीतरागी सर्वज्ञ भगवान बन गए।
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