Book Title: Balbodh Pathmala 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 19
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates मैं जानता हूँ। शरीर कुछ जानता नहीं है। ज्ञानचंद – समझ गये तो बताओ, हाथी जीव है या अजीव ? हीरालाल – जैसे हमारा शरीर अजीव है, वैसे ही हाथी आदि सब जीवों का शरीर भी अजीव है, पर उनकी आत्मा तो जीव ही है। यह समझ तो लिया, पर इसके जानने से लाभ क्या है ? यह भी तो बतायो। ज्ञानचंद - इसको जाने बिना आत्मा की सच्ची पहिचान नहीं हो सकती और आत्मा की पहिचान बिना सच्चा सुख नहीं मिल सकता, तथा हमें सुखी होना है, इसलिए इनका ज्ञान करना भी आवश्यक है। जीव-अजीव का ज्ञान कर हम स्वयं भगवान बन सकते हैं। प्रश्न - १. जीव किसे कहते हैं ? २. अजीव किसे कहते हैं ? ३. नीचे लिखी वस्तुओं में जीव-अजीव की पहिचान करो : हाथी, तुम , कुर्सी, मकान, रेल , कान, आँख, रोटी, हवाई जहाज , हवा, आग। ४. जीव-अजीव की पहिचान से क्या लाभ है ? १६ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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