Book Title: Balbodh Pathmala 1
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 22
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates देवदर्शन की विधि तो तुम्हें उस दिन समझाई थी। उसके बाद ही अल्पाहार (दूध, नाश्ता) लेकर यदि स्कूल और पाठशाला का समय हो वहाँ चले जाना चाहिए, नहीं तो घर पर ही स्वयं अध्ययन करना चाहिए। इसी प्रकार भोजन भी प्रतिदिन यथासमय १०-११ बजे शांतिपूर्वक करना चाहिए। शाम को दिन छिपने के पूर्व ही भोजन से निवृत्त हो जाना प्रत्येक बालक का कर्तव्य है। रात्रि को भोजन कभी नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार रात्रि को भी जब तक तुम्हारा मन लगे ८-९ बजे तक अपना पाठ याद करना चाहिए। उसके बाद आत्मा और परमात्मा का स्मरण करते हुए स्वच्छ और साफ बिस्तर पर शांति से सो जाना चाहिए। सब बालक – आज से हम आपकी बताई हुई दिनचर्या के अनुसार ही चलेंगे और शरीर की सफाई के साथ ही आत्मा की पवित्रता का भी ध्यान रखेंगे। प्रश्न - १. एक अच्छे बालक की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? २. प्रातः सबसे पहले उठकर हमें क्या करना चाहिए ? ३. शारीरिक सफाई और मन की पवित्रता से क्या समझते हो ? ४. शारीरिक सफाई के लिए क्या-क्या करना चाहिए ? ५. मानसिक (आत्मिक) पवित्रता के लिए क्या करना चाहिए ? Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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