Book Title: Balbodh 1 2 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 11
________________ बन गए तथा उनकी दिव्यध्वनि द्वारा तत्त्वोपदेश होने लगा जिससे भव्य जीवों को मुक्ति के मार्ग का ज्ञान हुआ। बेटी - तो तुम क्या उनकी ही स्तुति करती हो ? मैं भी किया करूँगी। क्या वे मुझे भी मुक्ति का मार्ग बतायेंगे? माँ - अवश्य किया करना। वे तो कुछ दिन बाद मुक्त हो गए थे अर्थात् धर्मसभा (समवशरण) आदि को भी छोड़कर सिद्ध हो गए। पर उनका बताया हुआ मुक्तिमार्ग तो आज तक भी ज्ञानियों के द्वारा हमें प्राप्त है और जो उनके बताए मुक्तिमार्ग पर चलें वे ही उनके सच्चे भक्त हैं तथा वे स्वयं भगवान भी बन सकते हैं। एक वर्ष बाद अक्षय तृतीया के दिन ऋषभ मुनि का सर्वप्रथम आहार राजा श्रेयांस के यहाँ इक्षुरस (गन्ने का रस) का हुआ। उसी दिन से अक्षय तृतीया पर्व चल पड़ा। बेटी - क्या वे मुनि होते ही सर्वज्ञ बन गये थे? माँ - नहीं बेटी ! एक हजार वर्ष तक बराबर मौन आत्म साधना करते रहे। एक दिन आत्म-तल्लीनता की दशा में उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और वे वीतरागी सर्वज्ञ प्रश्न - १. भक्तामर स्तोत्र में किसकी स्तुति है? २. भगवान आदिनाथ का संक्षिप्त परिचय दीजिए? ३. अक्षय तृतीया पर्व के सम्बन्ध में तुम क्या जानते हो? ४. राजा ऋषभदेव भगवान आदिनाथ कैसे बने तथा उन्हें आदिनाथ क्यों कहा जाता है? ५. उन्हें वैराग्य कैसे हआ? ६. क्या उनका बताया हुआ मुक्तिमार्ग हम पा सकते हैं? यदि हाँ, तो कैसे?

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