Book Title: Balbodh 1 2 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 27
________________ अध्यापक - पाठ सातवाँ भगवान महावीर बालको ! कल भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव है। प्रातः प्रभात फेरी निकलेगी। अतः सुबह पाँच बजे आना है और सुनो, शाम को महावीर चौक में आम सभा होगी, उसमें बाहर से पधारे हुए बड़ेबड़े विद्वान भगवान महावीर के सम्बन्ध में भाषण देंगे। तुम लोग वहाँ अवश्य पहुँचना । ३० पहला छात्र- गुरुजी ! बड़े विद्वानों की बातें तो हमारी समझ में नहीं आतीं। आप ही बताइये न, भगवान महावीर कौन थे? कब जन्मे थे ? अध्यापक बच्चो ! भगवान जन्मते नहीं, बनते हैं। जन्म तो आज से करीब २६०५ वर्ष पहिले चैत्र शुक्ला १३ के दिन बालक वर्द्धमान का हुआ था। बाद में वह बालक वर्द्धमान ही आत्म-साधना का अपूर्व पुरुषार्थ कर भगवान महावीर बना । दूसरा छात्र इसका मतलब तो यह हुआ कि हमारे में से भी कोई भी आत्म-साधना कर भगवान बन सकता है। तो क्या वर्द्धमान जन्मते समय हम जैसे ही थे ? अध्यापक - और नहीं तो क्या ? यह बात जरूर है कि वे प्रतिभाशाली, आत्मज्ञानी, विचारवान, स्वस्थ और विवेकी बालक थे। साहस तो उनमें अपूर्व था, किसी से कभी डरना तो उन्होंने सीखा ही नहीं था । अतः बालक उन्हें बचपन से वीर, अतिवीर कहने लगे थे। तीसरा छात्र उन्हें सन्मति भी तो कहते हैं ? अध्यापक - उन्होंने अपनी बुद्धि का विकास कर पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था, अतः सन्मति भी कहे जाते हैं और सबसे प्रबल राग-द्वेषीरूपी शत्रुओं को जीता था, अतः महावीर कहलाये । उनके पाँच नाम प्रसिद्ध हैं- वीर, अतिवीर, सन्मति, वर्द्धमान और महावीर । पहला छात्र उनके जन्म कल्याणक के समय तो उत्सव मनाया गया ३१

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