Book Title: Balbodh 1 2 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 42
________________ पाठ सातवाँ | भगवान नेमिनाथ बहिन - भाई साहब ! सुना है भगवान नेमिनाथ अपनी पत्नी राजुल को बिलखती छोड़कर चले गये थे। भाई - भगवान नेमिनाथ तो बालब्रह्मचारी थे। उनकी तो शादी ही नहीं हुई थी। अत: पत्नी को छोड़कर जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। बहिन - फिर लोग ऐसा क्यों कहते हैं? भाई - बात यह है कि नेमिकुमार जब राजकुमार थे तब उनकी सगाई जूनागढ़ के राजा उग्रसेन की पुत्री राजुल (राजमती) से हो गई थी। पर जब नेमिकुमार की बारात जा रही थी तब मरणासन्न निरीह मूक पशुओं को देख, संसार का स्वार्थपन और क्रूरपन लक्ष्य में आते ही, उनको संसार और भोगों से वैराग्य हो गया था। वे आत्मज्ञानी तो थे ही, अत: उसी समय समस्त बाह्य परिग्रह माता-पिता, धन-धान्य, राज्य आदि तथा अंतरंग परिग्रह राग-द्वेष का त्यागकर नग्न दिगम्बर साधु हो गये थे। बारात छोड़कर गिरनार की तरफ चले गये थे। इसी कारण लोग कहते हैं कि वे पत्नी राजुल को छोड़ गये। बहिन - ये नेमिनाथ कौन थे? भाई - सौरीपुर के राजा समुद्रविजय के राजकुमार थे, श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे। इनकी माता का नाम शिवादेवी था। ये बाईसवें तीर्थंकर थे। अन्य तीर्थंकरों के समान इनका भी जन्मकल्याणक बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया था। आत्मबल के साथ-साथ उनका शारीरिक बल भी अतुल्य था। उन्होंने राजकाज और विषयभोग को अपना कार्यक्षेत्र न बनाकर गिरनार की गुफाओं में शान्ति से आत्म-साधना करना ही अपना ध्येय बनाया। उन्होंने समस्त जगत से अपने उपयोग को हटाकर एकमात्र ज्ञानानन्द स्वभावी अपनी आत्मा में लगाया। आत्मज्ञानी तो वे पहिले से थे ही, आत्म-स्थिरता रूप चारित्र की श्रेणियों में बढ़ते हुए दीक्षा के ५६ दिन बाद आत्मकसाधना की चरम परिणति क्षपक श्रेणी आरोहण कर केवलज्ञान (पूर्णज्ञान) प्राप्त किया। तदनन्दर करीब सात सौ वर्ष तक लगातार समवशरण सहित सारे भारतवर्ष में उनका विहार होता रहा तथा उनकी दिव्यध्वनि द्वारा तत्त्व-प्रचार होता रहा। अन्त में गिरनार पर्वत से ही एक हजार वर्ष की आयु पूरी कर मुक्ति प्राप्त की। बहिन - तो गिरनारजी "सिद्धक्षेत्र" इसीलिए कहलाता होगा? हाँ, गिरनार पर्वत नेमिनाथ की निर्वाणभूमि ही नहीं, तपो-भूमि भी है। राजुन ने भी वहीं तपस्या की थी तथा श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न कुमार और शम्बुकुमार भी वहीं से मोक्ष गये थे। जैन समाज में शिखरजी के पश्चात् गिरनार सिद्धक्षेत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रश्न - १. भगवान नेमिनाथ का संक्षिप्त परिचय दीजिए। २. भगवान नेमिनाथ की तपो-भूमि और निर्वाण-भूमि का परिचय दीजिए।

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