Book Title: Balbodh 1 2 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ पाठ छठवाँ | द्रव्य-गुण-पर्याय अनुपसेव्य पदार्थों का सेवन लोकनिंद्य होने से तीव्र राग के बिना नहीं हो सकता है, अत: वह भी अभक्ष्य है। सुबोध - और नशाकारक? प्रबोध - जो वस्तुएँ नशा बढ़ाने वाली हों, उन्हें नशाकारक अभक्ष्य कहते हैं। अत: इनका भी सेवन नहीं करना चाहिए। ___तथा जो वस्तु अनिष्ट (हानिकारक) हो, यह भी अभक्ष्य है, क्योंकि नुकसान करने वाली चीज को जानते हुए भी खाने का भाव अति तीव्र राग भाव हुये बिना नहीं होता, अत: वह त्याग करने योग्य है। सुबोध - अच्छा, आज से मैं भी किसी भी अभक्ष्य पदार्थों को काम में नहीं लूँगा (भक्षय नहीं करूँगा)। मैं तुम्हारा उपकार मानता हूँ, जो तुमने मुझे अभक्ष्य भक्षण के महापाप से बचा लिया। प्रश्न - १. अभक्ष्य किसे कहते हैं? वे कितने प्रकार के होते हैं? २. अनुसेव्य से क्या समझते हो ? उसके सेवन से हिंसा कैसे होती है ? ३. किन्हीं चार बहुघात के नाम गिनाइये? ४. नशाकारक अभक्ष्य से क्या समझते हो? छात्र - गुरुजी, आज अखबार में देखा था कि अब ऐसे अणुबमबन गये हैं कि यदि लड़ाई छिड़ गई तो विश्व का नाश हो जायेगा। अध्यापक - क्या विश्व का भी कभी नाश हो सकता है ? विश्व तो छह द्रव्यों के समुदाय को कहते हैं और द्रव्यों का कभी नाश नहीं होता है, मात्र पर्याय पलटती है। छात्र - विश्व तो द्रव्यों के समूह को कहते हैं और द्रव्य ? अध्यापक - गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं। छात्र - मन्दिरजी में सूत्रजी के प्रवचन में तो सुना था कि द्रव्य, गुण और पर्यायवान होता है (गुणपर्ययवद् द्रव्यम्)। अध्यापक - ठीक तो है, गुणों में होने वाले प्रति समय के परिवर्तन को ही तो पर्याय कहते हैं। अतः द्रव्य को गुणों का समुदाय कहने में पर्यायें आ ही जाती हैं। छात्र - गुणों के परिणमन को पर्याय कहते हैं, यह तो समझा, पर गुण किसे कहते हैं? अध्यापक - जो द्रव्य के सम्पूर्ण भागों (प्रदेशों) में और उसकी

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43