Book Title: Balbodh 1 2 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 21
________________ पानी कभी भी नहीं पीऊँगा। मैं आप लोगों से भी निवदेन करना चाहता हूँ, आप लोग भी यह निश्चय कर लें कि पानी छानकर ही पीयेंगे। इतना कहकर मैं आज की सभा की समाप्ति की घोषणा करता हूँ। (भगवान महावीर की जयध्वनिपूर्वक सभा समाप्त होती है।) आता? क्या आप यह भी नहीं जानते कि सभा में इस प्रकार बीच में नहीं बोलना चाहिए तथा यदि कोई अति आवश्यक बात भी हो तो अध्यक्ष की आज्ञा लेकर बोलना चाहिए? चूँकि प्रश्न आ ही गया है, अत: यदि निर्मला बहिन चाहें तो मैं उनसे अनुरोध करूँगा कि वे इसका उत्तर दें। निर्मला - (खड़े होकर) यह तो मैंने रात्रि भोजन से होने वाली प्रत्यक्ष सामने दिखने वाली हानि की ओर संकेत किया है, पर वास्तव में रात्रि भोजन में गृद्धता अधिक होने से राग की तीव्रता रहती है, अतः वह आत्म-साधना में भी बाधक है। अध्यक्ष - (खड़े होकर) निर्मला बहिन ने बड़ी ही अच्छी बात बताई है। हम सबको यही निर्णय कर लेना चाहिए कि आज से रात में नहीं खायेंगे। बहुत से साथी बोलना चाहते हैं पर समय बहुत हो गया है, अतः आज उनसे क्षमा चाहते हैं। उनकी बात अगली मीटिंग में सुनेंगे। मैं अब भाषण तो क्या दूँ पर एक बात कह देना चाहता हूँ। मैं अभी आठ दिन पहले पिताजी के साथ कलकत्ता गया था। वहाँ वैज्ञानिक प्रयोगशाला देखने को मिली। उसमें मैंने स्वयं अपनी आँखों से देखा कि जो पानी हमें साफ दिखाई देता है, सूक्ष्मदर्शी से देखने पर उसमें लाखों जीव नजर आते हैं। अत: मैंने प्रतिज्ञा कर ली कि अब बिना छना प्रश्न - १. पानी छानकर क्यों पीना चाहिए ? २. रात में भोजन से क्या हानि है ? ३. क्रोध करना क्यों बुरा है ? ४. हठी बालक की कहानी अपने शब्दों में लिखिए। ५. सभा-संचालन की विधि अपने शब्दों में लिखिए। १८

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