Book Title: Avashyak Niryukti Part 07
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 315
________________ ૩૦૪ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ अस्संजयमणुएहिं ...... पा.६६॥ | आइमकाउस्सग्गे...... ॥१५०४॥ आयरिय उवज्झाए ...... ॥११९६॥ अस्सायमाइयाओ.... ॥५७३॥ आइल्लाणं तिण्हं..... ॥भा.१६२॥ | आयसमुत्थमस०....... ॥१४०४॥ अस्सावगपडिसेहो ..... ॥३६५॥ आउज्जनकुसलावि..... ॥११४५॥ | आया खलु सामइयं... ॥७९०॥ अस्सिणिकि-..... आउट्टियाऽवराह ...... ॥१४१२॥ | आया हु कारओ ...... ॥१०३५॥ अह अण्णया कयाई ...... ॥३५०॥ अह ऊणअट्ठवा०..... भा.७२॥ आगमउवएसाणाणि..... ॥ध्या.६७॥ | आयाहिण पुव्वमुहो ..... ॥५५६॥ अह खंतिमद्दवज्जव..... ॥ध्या.६९॥ आगमसत्थग्गहणं..... ॥२१॥ | आरुग्गबोहिलाभं ..... ॥१०९४॥ अह चित्तसुद्धप०... ॥भा.६१॥ आगमसिद्धो सव्वंगल..... ॥९३५॥ | आरोढुं मुणिवणिया.... ॥ध्या.६०॥ अह छउमत्थस्स ..... ॥ध्या.८४॥ आगारेऊण परं ...... ॥१४५७॥ आरोवणा य भयणा ..... ॥९०२॥ अहतं अम्मापि०..... ॥भा.७६॥ आगासस्स पएसा ..... भा.१९८॥ | आलंबणहीणो पुण ..... ॥११७४॥ अह तं पागडरूवं..... ॥३६०॥ आघोसिए बहूहिं ..... ॥१३७५॥ | आलंबणाइ० ...... ॥ध्या. ४२॥ अह दव्ववग्गणाणं,.... ॥३९॥ आणयपाणयकप्पे, .... ॥४९॥ | आलंबणाण लोगो ...... ॥११८९॥ अह दिवसे ..... भा.४८॥ आणागिज्झो अत्थो .... ॥१६२१॥ | आलंबणेण केणइ .... ॥११७२॥ अह पुण निव्वा०..... ॥१३६६॥ अह भगवं भवमहणो ..... ॥४३३॥ आणाबलाभिओगो .... ॥६७७॥ | आलइअमालमउडो..... ॥भा. ९५॥ अह भण्ड जिणवरिंदो ..... ३६९॥| आतुवमाए परदु०... ॥१०३२॥ | आलएणं विहारेण ...... ॥११४९॥ अह भणइ जिणवरिंदो ..... ३७३॥ | आपुच्छण किइ०..... ॥१३७२॥ | आलएणं विहारेणं..... ॥११५०॥ अह भणइ णेगमेसिं.... ॥भा. ५१॥ आपुच्छणा उ ....... ॥६९७॥ | आलभिआए वासं ..... ॥४८८॥ अह भणइ नरव० ..... भा.४४॥ | आभट्ठो य जिणेणं ..... ॥६०७॥ | आलभियाए हरि ..... ॥५१५॥ अह भणइ नरवरिंदो ..... ॥३७२।। | आभट्ठो य जिणेणं.... ॥५९९॥ | आलम्स मोहवण्णा .... ॥८४१॥ अह वड्ढइ सो ...... ॥१९१॥ आभट्ठो य जिणेणं..... ॥६०३॥ आलुक्कइ अपलुक्कइ... ॥१०५८॥ अह वड्ढइ सो ..... भा. ६९॥ आभट्ठो य जिणेणं ..... ॥६११॥ आलोअंमि चिल०.... ॥१४०२॥ अह वयपरियाएहिं... ॥७१२॥ आभट्ठो य जिणेणं .... ॥६१५॥| आलोअचलं...... . ॥१५१६॥ अह सत्तमंमि..... भा. ५९॥ आभट्ठो य जिणेणं ..... ॥६१९॥ | आलोअणा य १..... भा.१७८॥ अह सव्वदव्वपरिणाम.... ॥७७॥ आभट्ठो य जिणेणं.... ॥६२३॥ आलोइए विणी..... ॥भा. १८०॥ अहमवि भे खामेमी ..... ॥१५३१॥ आभट्टो य जिणेणं .... ॥६२७॥ आलोयण पडिक्काल..... ॥१४१९॥ अहयं च दसाराणं ... ॥४३२॥ आभद्रो य जिणेणं ..... ॥६३१॥ आलोयणा निरव०.... ॥१२७५॥ अहयं तुब्भं एय..... ॥६७३॥ आभट्ठो य जिणेणं.... ॥६३५॥ आलोवणमालुंचन ...... ॥१२४४॥ अहव निमित्ताईणं... भा. २९॥ आभट्ठो य जिणेणं ..... ॥६३९॥ | आवत्ताइसु जुगवं...... ॥१२२७॥ अहवा णाणपईणं.... ॥६७६॥ आभरणरयण..... भा. ६२॥ | आवस्सएसु जह जह .....॥१२१५॥ अहवा संघाओ १ ..... ॥भा. १७४॥ अहवा सयं करेन्तं.... ॥६७४॥ आभिणिबोहिय.... ॥१॥| आवस्सगस्स.... ॥८४॥ अहवाऽवि विणासेंतं.... ॥६७२॥ आभिणिबोहियनाणे... ॥१६॥ | आवस्सयंमि जुत्तो..... भा.१२२॥ अहियासियाइं अंतो ..... ॥१३६४॥ आभोएउं सक्को ..... ॥१९९॥ | आवस्सियं च .... भा.१२०॥ अहिसरिया पाएहि ..... ॥८७३॥ आमोसहि विप्पोसहि .... ॥६९॥ | आवस्सियं च णितो च.... ॥६९२॥ आयंबिलमणायं०..... ॥१६१२॥ [आ] आवस्सियं च णितो.... ॥६९१॥ आयंसघरपवेसो भरहे ..... ॥४३६॥ आवस्सिया उ.... ॥४२४॥ ॥६९४॥ आइगरु दसाराणं ..... आयरिए य गि० ..... पा. ७५॥ | आवासगंतु काउं...... ॥१३६९॥ आइन्न पिसिय म०...... ॥१४००।।

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