Book Title: Avashyak Niryukti Part 07
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala
View full book text
________________
नियुक्तिभाष्यादिश्लोकानां अकारादिक्रमः * 3१८ रोगहरणं तिगिच्छा १७... ॥भा. १८॥ | वणसंडोव्व कुसु०.... भा. १०१॥ | विउला विमला ..... ॥९३७॥ रोद्दा य सत्त वेयण ..... ॥४६४॥| वण्णेण वासुदेवा ....... ॥४०२॥| विगलिंदिएहिं जा सा.... पा.७। रोहीडगंच नयरं...... ॥१३१९॥ वत्तणा संधणा ..... ॥६९९॥ विच्छ्य सप्पे मूसग... ॥भा.१३७॥ रोहेड वणं छद्रे हिय०...... ॥१४२४॥| वत्थूओ संकमणं.... ॥७५८॥ विज्जसअस्स.... . ॥१७३॥ [ल]
वनरसगंधसंठाण०..... |भा. २०४॥ | विज्जाचरणनएसुं ..... ॥१०५३॥ लक्खं १२ असयाणि.... ॥२६२॥ वयएक्कगसंजोगाण..... .॥ विज्जाण चक्कवड़ी..... ॥९३२॥ मराटियंमि बीए..... ॥२४२२॥ वरकणगतविअगोरा ..... ॥३७७॥| विणओ सासणे...... ॥१२१७॥ लद्धिल्लिअंच बोहिं ..... ॥१०९९॥ वरपडहभेरिझल्ल०.... ॥भा. १०४॥ विणओणएहि.... ॥१३८॥ लद्धिल्लिअंच बोहिं ....... ॥११००॥ वरवरिआ घोसिज्जइ ..... ॥२१९॥ विणओवयार ....... ॥१२१६॥ लक्ष्ण य सम्मत्तं.... . ॥१४७॥ वरवरिआ० ..... भा. ८४॥
वित्तासेज्ज हसेज्ज...... पा. ४०॥ लाउआएरंडफले ..... ॥९५७॥ वरसुरहिमल्लसयणमि.... ॥१०८९॥
वित्ति उ सुवण्ण...... ॥५८०॥ लाढेसु य उवसग्गा .....
॥४८२॥ ववगयमोहा समणा ..... ॥४८२॥
॥३५६॥
विमलतणुबुद्धि ..... ॥१०८६॥ लाहा हु ते सुलद्धा .... ॥४२७॥ ववहारे १२ नीइ १३ .... ॥२०४॥
| विमलमणंतइ धम्मो ..... ॥३७१॥ लिंगं जिणपण्णत्तं...... ॥११३२॥| ववहारोऽविहु बलवं. भा.१२३॥
विरयाविरई संवुडम०..... ॥८६३॥ लिंगाइ तस्स ..... ॥ध्या. २६॥ वसभे य इंदकेऊ ..... भा.२०९॥
विसमंमि समा०...... ॥ध्या. ४३॥ लिप्पगहत्थी हत्यित्ति...... ॥१४३४॥ वसहि निवेसण........ पा.५४॥
विसमा जड़ होज्ज..... पा.४९॥ लेहं लिवीविहाणं.... भा. १३॥ वसहिनिवेसणसाही...... पा.५५॥
विसयसुहनिअत्ताणं ..... ॥१००४॥ लोइंदिअमुंडा संजया ..... ॥३५४॥| वसुभूई धणमित्ते.... ॥६४७॥
विहिगहियं विहिभुत्तं ..... ॥१६१३॥ लोए वेए समए ..... ॥१६०७॥ वाए पराजिओ.... भा. १४०॥
वीरं अरिट्ठनेमि पासं ..... ॥२२१॥ लोगस्सुज्जोअगरा ... ॥१०६१॥ वाणारसी य कोठे ..... ॥१३०८॥
वीरं सुक्कज्झाण०..... ॥ध्या. १॥ लोगस्सुज्जोयगरे, धम्म०.... ॥स.॥ वाणारसी य णयरी ......॥१३१२॥
वीरवरस्स भगवओ ..... ॥४७१॥ लोभाणुं वेअंतो जो.... ॥११७॥ वाणियगामायावण ..... ॥४९५॥
वीरियभावे य तहा.... 1
॥७५२॥ [व] . वायणपडिसुणणाए.... ॥६८९॥
वीरियसजोगयाए ..... ॥१५१५॥ वंदणचिइकिइकम्म...... ॥११०३॥ वायनिसग्गुड्डोए जा०...॥१५१४॥
वीरो अरिट्ठनेमी ..... ॥२२६॥ वंदामि महाभागं..... ॥८१॥ वायाईधाऊणं ....... ॥१४७०॥ वंदिज्जमाणा न ...... ॥८६६॥| वायाए नमोक्कारो ..... ॥११२८॥
वीसमिऊण नियंठो... ॥१२४॥ वइसाहसुद्धएक्कारसीए.... ॥७३४॥| वारण सणंकुमारे ...... ॥१९॥
वीसरसहरु अंते ....... भा.२३०॥ वक्खाणंसमत्तीए.... ॥१०॥ | वालुय पंथे तेणा ..... ॥५०७॥
वीससकरणमणाई... भा. १५४॥ वक्खित्तपराहुत्ते अ...... ॥११९९॥ | वाघाए तइओ सिं ...... ॥१३७१॥
वीसा दो वाससया .... ॥भा.१३१॥ वच्चंते जो उ कमो..... ॥भा.२०७॥ वासत्ताणावरिया .... ॥१३३१॥
वुड्ढी वा हाणी.... ॥५९॥ वच्चगगोणी १ खुज्जा.... ॥१३३॥ वाससहस्सं १ बारस २.... ॥२३८॥| वेंटट्ठाई सुरभि ..... ॥५४६॥ वच्चह हिंडह न ..... ॥५१२॥| वासाण कुमारत्तं ..... ... ॥२८७॥ वेउव्विअसंघाओ..... भा. १६७॥ वज्जंतऽवज्जभीरू .... ॥३५८॥ वासासु य तिन्नि..... ॥१३९१॥ वेज्जे मेंठे तह ....... ॥८४६॥ वज्जरिसहसंघयणा.... ॥१५७॥| वासीचंदणकप्पो जो.... ॥१५५१॥| वेसमणवयणसंचो०.... भा. ६८॥ वड्ढ़ते परिणामे ...... ॥८२३॥ वासोदयस्स व जहा ..... ॥५७७॥ वेसालि भूयणंदो ..... ॥५१८॥
+ ૧૦૫૬ પછી. X ૧પ૬૩ પછી

Page Navigation
1 ... 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356