Book Title: Avashyak Niryukti Part 07
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 331
________________ ૩૨૦ જ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ वेसालीए पडिम .... ॥४९४॥ | संती कुंथू अ अरो.... ॥४१७॥ | सत्तेया ट्ठिीआ..... ॥७८६॥ वोग्गह दंडियमादी..... ॥१३४५॥ संदिट्ठो संदिट्ठस्स..... ॥७००॥ सद्दहण जाणणा खलु.... ॥७५३॥ [स] संबोहण १ परि० .... ॥२०९॥ ॥२०९॥ सदाइएसु रागं दोसं...... ॥१४२७॥ संकाइदोसरहिओ ...... ॥ध्या. ३२॥| संभिण्णं पासंतो.... ॥१२७॥| सद्दाइविसयगिद्धो ....... ॥ध्या. १७॥ संकेयं चेव अद्धाए,.... ॥१५६७॥| संमत्तस्स सुयस्स ..... ॥८११॥| सद्दाइविसयसाहण..... ॥ध्या. २२॥ संखाईआओ खलु,..... ॥२५॥ | संमसुआणं लंभो ..... ॥८०७॥ | सन्निहियाण वडारो..... ॥१३८५॥ संखाईएऽवि भवे..... ॥५९०॥ | संवच्छरमुक्कोस...... ॥१४६०॥ ॥१४६०॥| सपडिक्कमणो धम्मो .....॥१२४५॥ संखिज्ज मणोदव्वे,.... ॥४२॥ संवच्छरेण धूअं ...... सप्पंच तरु व०..... भा. ७५॥ संखिज्जमि उ काले, .... ॥३५॥ | संवच्छरेण भिक्खा .... ॥३१९॥| सप्पं सयणे जणणी.... ॥१०९१॥ संखिज्जमसंखिज्जो, ..... ॥६७॥| संवच्छरेण होही ..... ॥२१६॥ समणं वंदिज्ज ....... ॥११०७॥ संखिज्जाऊ चउरो .... ॥८१९॥ | संवच्छरेण....... भा.८१॥| समणा तिदंडविरया..... ॥३५३॥ संखेज्जजोयणा खलु, .... ॥५२॥| संवट्ट मेह आयंसगा ..... ॥१८८॥| समणो उ वणिव्व ....... ॥१४०६॥ संगमथेरायरिओ ...... ॥११७८॥ संवरकयनिच्छिदं ....... ॥ध्या.५९॥| समत्तस्स सुयस्स ..... ॥८४९॥ संगहकाओऽणेगावि ....... ॥१४४४॥ संवरविणिज्जराओ .... ॥ध्या. ९६॥ समभावंमि ठियप्या ....... ॥१५०५॥ संगहियपिडियत्थं संग०.... ॥७५६॥| संवरियासवदारा ..... ॥१४६७॥| समभूमेवि अइभरो.... भा. २७८॥ संगाणं च परिण्णां,......॥१२७९॥ संविग्गअण्णसंभो०.... ॥भा.२४६॥ | समया सम्मत्त ..... ॥१०३३॥ संघयण रूव संठाण ..... ॥५७१॥ संसरिअ थावरो..... ॥४४३॥ समयावलिअमुहुत्ता..... ॥भा.१९९॥ संघयणं संठाणं.... ॥१६०॥ संसार पडिक्कमणं ...... ॥१२५२॥| समयावलिय मुहत्ता.... ॥६६३॥ संघायणपरिसाडो.... भा. १६८॥ संसारसागराओ उब्बुड्डो.... ॥९७॥ समवाइअसमवाई.... ॥७३८॥ संघायभेअतदु०..... भा. १५५॥ संसाराअडवीए ..... ॥९०९॥| समवाओ गोट्ठीणं.... भा. २०॥ संघायमेगसमयं... भा. १६३॥ | | सक्कीसाणा पढम,... ॥४८॥ समहिंदा कप्प..... ' भा. ११९॥ संजमघाउप्पाते ...... ॥१३२४॥ | सक्को अतस्सम०..... भा. ७७॥| समिला पब्भट्ठा ....... ॥८३४॥ संजमजोए अब्भुट्ठियस्स.. ॥६८२॥ | सक्को अ देवराया ..... ॥४९८॥| समुट्ठाण १ वाय० .... ॥८८९॥ संजमजोए..... ॥६८१॥ सक्को वंसट्ठवणे.... ॥१९०॥ समुसरण भत्त उग्गह ..... ॥३६२॥ संजमजोएसु सया ...... ॥११७१॥ | सग्गहनिब्बुड एव...... ॥१३४४॥| समोसरणे केवइया ..... ॥५४३॥ संजयमणुएहिं जा.... पा.१०॥ सचरित्तपच्छयावो ..... ॥१०४९॥ संम्मत्त ८ नाण ९ ..... ॥८९७॥ संजयवेमाणित्थी..... भा.११६।। | सज्झायझाणतव०...... ॥१५०६॥| सम्मत्तं अचरित्तस्स ...... ॥११६३॥ संजोगसिद्धीइ फलं.... ॥१०२॥ | सज्झायमचिंतता .... ॥१३७४॥| सम्मत्तचरणसहिया .... ॥८५९॥ संज्ञासु दोसु सूरो ....... ॥१४४३॥ सट्ठि १८ पणपण्ण १९ ... ॥२६३॥ सम्मत्तदेसविरई ...... ॥५६॥ संतपयं पडिवन्ने ..... ॥८९६॥ | सत्तण्हं पयडीणं..... ॥१०६॥| सम्मत्तदेसविरया ..... ॥५१॥ संतपयपरू वणया १ .... ॥८९५॥ | सत्तत्तरि सयाई ...... .॥ | सम्मत्तदेसविरया ..... ॥५०॥ संतपयपरू वणया..... ॥१३॥ सत्तवहवेहबंधणक०.... ॥ध्या. १९॥ सम्मत्तसुयं सव्वासु ..... ॥८२२॥ संता तित्थयरगुणा ...... ॥११३३॥ | सत्तसहस्साणंतइजि०.... ॥३१०॥| सम्मइंसणदिट्ठो...... ॥९१०॥ संतिस्स कुमारत्तं ...... ॥२९२॥ सत्तसु परिमिय .... भा.२१७॥ | सम्मद्दिट्ठि अमोहो ..... ॥८६१॥ संती कुंथू अ अरो..... ॥२२३॥ सत्तेगट्ठाणस्स उ..... ॥१६०२॥ सम्मसुयअगारीणं..... ॥५४॥ ★ १५६७ पछी.

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