Book Title: Avashyak Niryukti Part 07
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 319
________________ ૩૦૮ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ कालियसुर्य च...... भा.१२४॥ | कुणओ व पसत्था० ..... ॥ध्या. १२॥ | खोमं कुंडलजु०..... भा. ६७॥ काले चउण्ह वुड्डी,.... ॥३६॥ | कुल्लाग बहुल पायस .... ॥४७४॥ [ग] काले तिपोरसिऽद्य...... ॥१३५२॥ कुसमुट्ठी एगाए ...... पा.४८॥ गइइंदिए य..... ॥१४॥ कालेण असंखेणवि ..... ॥५७५॥ | कुसुमाणि पंचव० .... भा.१००।। गंगाओ दोकिरिया .....॥७८०॥ कालेण कओ..... ॥७२९॥ | केई तेणेव भवेण .... ॥३३४॥ कालेवि नत्थि करणं ..... ॥१०१८॥ | केवलणाणित्ति अहं ..... गंतूण जोअणं तु ..... ॥१६४॥ ॥७५०॥ कालो संझा य तहा ..... ॥१३७७॥ केवलणाणेणत्थे ..... गंधव्वदिसाविज्जु०..... ॥१३३५॥ ॥७८॥ कालोऽवि सोच्चिय..... ॥ध्या. ३८॥ | केवलनाणुवउत्ता ..... गंधव्वनागदत्तो ..... ॥१२५३॥ ॥९७८॥ कावालिए सरक्खे ...... पा.१७॥ गइ १ सिद्धा २ ..... भा. १९७॥ केवलिणो तिउण ..... ॥५५९॥ कावोयनीलकाला ...... ॥ध्या. २५॥ केसाईउवरयणं..... गइ सिद्धा भवियाय.... ॥६६२॥ ॥भा.१६१॥ कावोयनीलकाला०... ॥ध्या. १४॥ केसिंचि हंतिऽमोहा..... ॥१३३७॥ गइआणुपुव्वी दो..... ॥१२२॥ कासखुअजंभिए मा ...... ॥१५१३॥ गइनेरइयाईया,.... ..॥६८॥ | को कारओ ?, ..... ॥१०३४॥ कासवगुत्ता सव्वे .... ॥३९४॥ | गणहर आहार .... ॥५७०॥ कोडीवरिसचिलाए ..... ॥१३११॥ काहु ?उदिढे ...... ॥भा. १७७॥ गणिसद्दमाइमहिओ...... ॥१४१४॥ कोसंबि अजियसेणे ..... ॥१२८७॥ किं? जीवो ..... ॥८९२॥ गब्भगए जं जणणी.... ॥१०८७॥ कोसंबिए सयाणीओ ..... ॥५२०॥ किं पिच्छसि साहूणं ..... ॥१००३॥ गब्भगए जं जणणी.... ॥१०८३॥ कोसंबी चंदसूरोयरणं .... ॥५१७॥ किं बहुणा ? सव्वं ..... ॥ध्या.६२॥ गमणागमणविहार...... ॥१५३६॥ कि मण्णि अस्थि ..... कोहंमि उ निग्गहिए .... ॥१०६७॥ ॥६०४॥ गय१ वसह २ सीह३ भा.४६॥ किं मण्णि जारिसो.... ॥६१६॥ [ख] गयउर सिज्जंसिक्खु०.... ॥३२२॥ किं मण्णि पंच ..... ॥१२॥ खंडियविराहियाणं ...... ॥१५०९॥ गयंगाहा ...... भा. ५४॥ किंमण्णे निव्वाणं .... ॥६४०॥ खइयंमि वट्टमाणस्स.... ॥७३५॥ गयगाहा ...... भा. ५६॥ किं मण्णे परलोगो ...... ॥३६॥ खणमवि न खमं ....... ॥११२२॥ गयसीसगणं ओमे ........ ॥११८५॥ किं मनसि संति ..... ॥६२४॥ खमणे य असज्झाए..... पा.६०॥ | गरहावि तहाजाई० ... ॥१०५०॥ किं मन्नि अत्थि ..... ॥६००॥ खरफरु साइसचेय०..... ॥१४५२॥ गहणं तप्पढमतया सुत्ते.... ॥७०२॥ किं मन्नि पुण्णपावं ..... ॥६३२॥ खरवाय कलंकलिया ..... ॥५०४॥ गहियंमि अड्ढरत्ते ..... ॥१३९७॥ किं मन्नि बंघमोक्खा .... ॥२०॥ खवगे१० अमच्चपुत्ते ११...॥९५०॥ गाढालंबणलग्गं..... ॥१४८५॥ किं मन्ने नेरइया ..... ॥२८॥ खिइवलयदीवसागर०.... ॥ध्या.५४॥ गामाग बिहेलग ..... ॥४८६॥ किं१३ कइविहं१४... ॥१४१॥ खितिचणउसभकु०...... ॥१२८५॥ गामायारा विसया .... ॥२३३॥ किंचिच्च (स्थ)... भा. ३०॥ खित्तमि जंमि खित्ते ..... ॥१०७३॥ गिण्हइ णामं एगस्स..... पा.५७॥ किइकम्मं च पसंसा ...... ॥११९३॥ खित्तस्स अवट्ठाणं,.... गिण्हइ य काइएणं,... किइकम्मं च पसंसा ...... ॥११९५॥ ॥५७॥ ॥७॥ खित्तस्स. नत्थि करणं....॥१०१७॥ गिहवासे अट्ठारस ..... किइकम्मपि करितो ..... ॥१२०६॥ ॥२८८॥ गुणाहिए वंदणयं ...... ॥११४८॥ किइकमपि करितो ..... ॥१२१३॥ खीरदहीवियडाणं ..... ॥१६१०॥ गुरु परिओसगएणं..... खेत्तदिसाकालगइ०.... ॥८०४॥ किइकम्मस्स विसोहि... भा.२५०॥ | ॥७०९॥ | गुरु मूलेवि वसंता ...... ॥६४२॥ किइकम्माइविहिन्नू ..... ॥१६१७॥ खेत्ते काले जम्मे..... पा. ८३॥ कित्तेमि कित्त०....... ॥१०७७॥ | खेयविणोओ सीस०.... ५८०n| गोटुंगणस्स मज्झे..... भा.२११॥

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