Book Title: Avashyak Niryukti Part 07
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 321
________________ ૩૧૦ छिण्णम संसयंमी.... छिण्णमि संसयंमी छामि संसयंमी छिण्णमि संसयंमी छिण्णमि संसयंमी...... छिण्णमि संसयंमी....... छामि संसयंमी...... छिण्णमि संसयंमी....... छिन्नमि संसयंमी. छेलावणमुक्किट्ठाइ આવશ્યકનિર્યુક્તિ • હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ ॥ ६०९ ॥ जड़ पुण गच्छंताणं ...... ***** ***** ***** ****** [ज] ***** ...... ****** ॥६१७॥ ॥६२१ ॥ ॥६२९ ॥ ।।६३३ ॥ ।।७९४ ॥ ||७९५ ॥ ॥ भा. १५७ ॥ ॥ १६३ ॥ ..... ॥६३७॥ ॥ ६४१ ॥ ||६०५ ॥ ।।६२५ ।। ॥ भा. २८ ॥ ..... जं जं जे जे भावे जं जं जे जे भावे जं जं निज्जी ....... जं जस्स आउयं...... जं तु पुरक्खडभावं .... जं तेहिं दायव्वं जं थिरमज्झवसाणं जं दिसि विकड्डिय जं दुक्कडंति मिच्छा .... जं दुक्कडति मिच्छा..... पुण उद्दिसमाणा जं पुण सुणिष्पकंपं.. जं वेलं कालगओ....... जं संठाणं तु इ. जंकारण णिक्खमणं ..... ****** ।। ९६९।। जह २ सुज्झइ. ॥५९५ ॥ जह उल्ला साडीआ जभिय वहि उजुवा०...... ॥५२६ ॥ जह करगओ निकिं० जभयगामे नाणस्स ॥ ५२४ ॥ जड़ अस्विकाय भावो... ॥भा. २३२॥ जड़ अब्भत्वे..... ॥६६८ ॥ जड़ असणमेव सव्वं ॥१५९२ ॥ जड़ व्यसंतकसाओ..... ॥ ११९ ॥ जइ एगग्गं चित्तं ...... ।। १४७३ ।। ॥ १४८९ ।। जड़ ते चित्त जड़ से लिंग पमा....... ॥११२४॥ * ११५७ पछी ★ १२७४ पछी. ।। १४३८ । ।। १०९६ ।। ॥ ध्या. २॥ पा. ६२ ॥ ||६८५ ॥ ||६८४॥ ।। १५३९ ।। ।। ध्या. ७९ ।। पा.३८॥ जइ पुण निव्वाघाए. जड़ फुसइ तहिं ..... जड़ व पडिक्कमियव्वं ... जड़ लिंगमप्यमाणं ..... जड़ वासुदेवु पढमो जइ हुज्ज तस्स...... जड़वि पडिमाठ जहा...... ॥ ****** जइवि वयमाइएहि ... जणणी सव्वत्थ. जण्णू २२ सव २३ जत्थ अपुव्वोसरणं. जथ अपुव्वोसरणं. जत्थ य एगो सिद्धो जत्थ य नत्थि जमचेवणत्ति ***** ****** जम्मण विणीअ १..... जम्मणे नाम वुड्ढी . जम्हा दंसणनाणा जम्हा विणयड़ कम्म जसभद्दे सिरिकंता ****** ...... जस्स अणुन्नाए..... जस्स य इच्छाकारो..... जस्स सामाणिओ ॥१३७३ ॥ ॥१५२० ॥ ।।मा. २२४।। ***** ..... ॥६८३॥ ॥१९२५ ॥ ॥४३१ ॥ ॥६७०॥ ।।११३६ ॥ ॥७१३॥ ||१०८२ ॥ ॥२०५॥ ॥५६८ ॥ ||५४४ ।। ।। ९७५ ।। . ॥ पा. ५१ ॥ ॥ भा. २१८॥ ।।३९७ ।। ॥१८६॥ जह नाम कोई मिच्छछे. ****** जह नाम महुर० जह रोगासयसमणं ..... ॥११६८॥ ॥१२९८ ॥ ॥९८३॥ ॥११२० ॥ ॥ ध्या. १०० ॥ ॥ ध्या. १०२ ॥ ॥८३७॥ ॥११३८॥ जह सव्वकामगुणिअं. ॥९८५ ॥ जह सव्वसरीरगयं ..... ॥ ध्या. ७१ ॥ जह वा घणसं० जह वारिमज्झछूढोय.. जह वेलंबगलिंगं. ****** ॥ पा. ५२॥ जाणतोऽवि य तरि..... ।। ११४७ । जाणगभविअरितं... ॥ मा. १५३॥ जाणावरणपहरणे. ॥८४३॥ जारिसया लोअगुरू. ॥ भा. ३८ ॥ ॥१२९० ॥ ॥ भा. ९१ ॥ ॥७६३॥ ।।१५५६।। जाव व कुंडग्गा ०..... ॥७६७॥ जावंति अज्जवइरा ...... ।।६९०॥ जावड़या किर ॥७९७ ॥ जावइया तिसमयाहार०.... ॥३०॥ ॥११५६॥ जावदवधारणंमि ..... ॥१०४२ ॥ जाहेवि य परितंता ...... ॥ ११७७ ॥ जिणचक्किदसाराणं ।।३६८ ।। जिणदेसिवाइ ॥ ध्या. ५२॥ जह चिरसचिवमिं०.... ।। ध्या. १०१ ॥ जिणपववणउप्पत्ती..... ।।१२८ ।। जह छेयलद्धनिज्जाम ०.... ॥९५॥ जह जच्चबाहलाणं...... ॥६७८ ॥ जिणवयणबाहिरा ....... ।।११६४ ।। जह तमिह सत्यवाहं ॥९०७॥ जिणसाहूगुणकित्तण०....॥ध्या.६८॥ जह तिक्खरुईवि. ॥ जियकोहमाणमाया ॥१०७६ ॥ जह दूओ रायाणं ...... ॥१२३०॥ जीवनिकाया गावो जह नाणेणं न विणा...... ।। ११५४॥ जीवप्पओगकरणं ।। ९५६ ।। ॥ भा. २३९॥ जह कायमणनिरोहे...... || १४७७ ॥ जिणवरमणुण्ण० ॥ भा. १०७॥ ***** ****** ॥९१६॥ ॥भा. १५८ ॥ ****** ***** जह सावज्जा ।।११३४।। जहा खरो चंदणभार०.... ॥१००॥ ..... ..... जहा जलता( त )... ॥१३१३॥ जहियं तु मासकप्पं प्र. ।। ।। १५२३ ॥ जा देवसिअं दुगुणं. जाइस्सरो अ भववं...... ॥१९३॥ जाईसरो अ भयवं० ॥ भा. ७१॥ ...... ****** ***** जाए दिखाए गामो ..... ***** ****** *****

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