Book Title: Avashyak Niryukti Part 03
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala
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૩૮૨ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ उद्देससमुद्देसे सत्ता०...... ॥१५३६॥ | उसभस्स पुव्वलक्खं ..... ॥३००॥ | एएहिं अद्धभरहं ..... ॥३६४॥ उद्देसे १ निद्देसे..... ॥१४०॥ | उसभे १ सुमित्त० ..... ॥३९९॥ एएहिं अहं खइओ..... ॥१२६५॥ उप्पज्जति वयंति ..... ॥७९३॥ | उसमे भरहो अजिए ..... ॥४१६॥ | एएहिं छहिं ठाणेहिं.... भा. २५४॥ उप्पण्णमि अणते .... ॥३४१॥ | उसभो अविणीआए ..... ॥२२९॥ एएहिं जो खज्जइ...... ॥१२६४॥ उप्पण्णमि अणते .... ॥५३९॥ | उसभो वरवसभगई .... ॥३१६॥ | एएहिं दिट्ठिवाए ... ॥७६०॥ उप्पण्णनाणरयणो..... भा.३५॥ | उसभो सिद्धत्थवणमि ..... ॥२३०॥ एक्कारस उ गणहरा ...... ॥२६९॥ । उप्पत्तिआ १ वेण..... ॥९३८॥ | उसिउस्सिओ अ तह ... ॥१४६१॥ एक्कारसवि गणहरा...... ॥५९२॥ उप्पत्ती(१) निक्खे०..... ॥८८७॥ | उस्सगे निक्खेवो ..... .॥ एक्केक्कीय दिसाए ..... ॥५६॥ उप्पन्नाऽणुप्पन्नो ..... ॥८८८॥ | उस्सग्ग विउस्सरणु०...... ॥१४५३॥ | एक्केक्को य सयविहो.... ॥७५९॥ उप्पन्नाणुप्पन्नं कया०.... ॥भा.१७५॥ | उस्सग्गेणवि सुज्झइ ...... ॥१४२८॥ | एग किर छम्मासं ...... ॥५२९॥ उप्पायट्ठिइभंगाइप०..... ॥ध्या.७७॥ | उस्सन्नकयाहारो ..... ॥१२६८॥ | एगं पडुच्च हिट्ठा ..... ॥८९९॥ उभयं अणाइ०..... भा. १७३॥ | उस्सारियेंधणभरो ...... ॥ध्या.७३॥ | एगंतमणावाए ........ पा.७४॥ उम्मग्गदेसणाए ..... ॥११५३॥ | उस्सासं न निरंभइ ..... ॥१५१२॥ | एगंतमणावाए ...... पा. ७६॥ उम्मायं च लभेज्जा ... ॥१४१५॥ | उस्सिअनिसन्नग ..... ॥१४६३॥ | एगते य विवित्ते..... ॥५४२॥ उम्मुक्कमणुम्मुक्के..... ॥८२९॥ [ऊ]. एगग्गस्स पसंतस्स न.... ॥६९३॥ उम्हासेसोवि सिही ..... ॥१४८६॥ | ऊणगसयभागेणं..... ॥१११९॥ | एगट्ठियाणि तिण्णि.... ॥१२९॥ उवओग पडुच्चंतो०..... ॥८९४॥ ऊरूसु उसभलंछण .... ॥१०८०॥ एगत्ते जह मुर्द्वि ...... ॥१०३६॥ उवओगदिट्ठसारा ..... ॥९४६॥ | ऊससिनीससिअं..... ॥२०॥ एगनिक्खमणं चेव, ..... ॥१२०५॥ उवओगलक्खण०..... ॥ध्या.५५॥ ऊसासग णीसासग ..... ॥८१४॥ | एगपएसोगाढं..... ॥४४॥ उवगरणमि उजा ...... पा.७८॥ | ऊहाए पण्णत्तं..... भा..१४७॥ एगविहंदुविहेणं.... ॥१५६१॥ उवणयणं तु कलाणं.... भा. २३॥
एगा जोअणकोडी..... ॥९६२॥ उवमारूवगदोसाऽनिद्देस..... ॥८८४॥ | एतं महिड्डियं ...... ॥५६२॥ |एगा य होइ रयणी...... ॥९७३॥ उरिं आयरियाणं...... पा.५०॥ | एए कयंजलिउडा भत्ती..... ॥३३०॥ |एगा हिरण्ण०
भा.८२॥ उववाओ सव्व?.... ॥१८५॥ | एए खलु पडिसत्तू ... भा.४३॥ |एगा हिरण्णकोडी ..... ॥२१७॥ उवसंपन्नो जकारणं.... I७२०॥ | एए चउदस सुमिणे.... भा.४७॥ एगेंदियनोएगेंदियपारि०.... पा.२॥ उवसंपया य.... ॥६६७॥ एए चोद्दस सु०.... भा. ५७॥ एगो असत्तमाए ...... ॥४१३॥ उवसंपया य.... ॥६९८॥ | एए चोद्दससुमि०..... ॥भा. ५५॥ | एगो काओ दुहा..... ॥१४४६॥ उवसामं उवणीआ.... .. ॥११८॥ | एए ते पावाही ...... ॥१२६३॥ | एगो भगवं वीरो .... . ॥२२४॥ उवहयमइविण्णाणो..... ॥५०६॥ | एए देवनिकाया ...... ॥२१५॥ | एगो भयवं वीरो..... ॥३०८॥ उसभचरिआहिगारे... ॥२०८॥ | एए देवनिकाया० भा. ८७॥ | एताइं अकुव्वंतो ....... ॥११३०॥ उसभजिणसमुट्ठाणं .... ॥३१३॥ | एएच्चिय पुव्वाण..... ॥ध्या.६४॥ | एतेसिं निज्जुति..... ॥८६॥ उसभस्स उपारणए,.... ॥३२०॥ | एएसामन्नयरेस०....... ॥१४०३॥ | एतेहिं कारणेहिं...... ॥८४२॥ उसभस्स कुमारत्तं .... ॥२७७॥ | एएसामन्नयरेऽस०..... ॥१४०८॥ | एत्थ उजिणवयणाओ.. ॥७१७॥ उसभस्स पुरिमताले..... ॥२५४॥ | एएसिमसंखिज्जा,.... उसभस्स पुव्वलक्खं ..... ॥२७२॥ | एएसु पढमभिक्खा ..... ॥३२६॥ | एत्थ य थलकरणे ..... पा.६३॥
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