Book Title: Avashyak Niryukti Part 03
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 407
________________ ૩૯૬ આવશ્યકનિયુક્તિ – હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ संदिदो संदिट्ठस्स..... संबोहण १ परि० संभिण्णं पसंती...... [स] संकाइदोसरहिओ. संकेयं चेव अद्धाए, ..... संखाईआओ खलु, संखाईएऽवि भवे ...... ॥ध्या ३२॥ ।। १५६६ ।। ॥२५॥ संमत्तस्स सुयस्स .. ॥५९० ॥ संमसुआणं लंभो संखिज्ज मणोदव्वे, ..... ॥४२॥ संच्छरक्कोसं HIN खिज्जमि उकाले, ...... संखिज्जमसंखिज्जो, ... संखिज्जाऊ चउरो ...... ..... ॥३५॥ संवरेण अं ॥६७॥ संवच्छरेण भिक्खा. ॥८९९॥ संवच्छरण होही. ॥५२॥ संवचप्रेण०...... संवट्ट मेह आयंसगा संवरकयनिच्छिदं ॥ ध्या. ५९ ॥ संवरविणिज्जराओ संखेज्जजोवणा खलु. संगमथे यरिओ **** १४४४॥ ****** संगहकाओ ऽणेगाव ...... संगहियपिडियत्वं संग०.... ॥७५६॥ **** ॥ ध्या. ९६ ॥ ।।१४६७।। ...... संगाणं च परिण्णां संघयण रूव संठाण ...... संघयणं संठाणं ...... संघायणपरिसाडो...... संघाय भेअतदु....... ॥५७१॥ संविग्गअण्णसंभो०...... ॥भा. २४६ ॥ ॥ १६०॥ संसरिअ थावरो...... ॥ ४४३ ॥ ॥१२५२ ॥ ॥ भा. १६८॥ संसार पडिक्कमणं. ॥ भा. १९५५ ॥ संसारसागराओ उब्बुड्डो .... ॥९७॥ ॥ भा. १६३॥ संसाराअडवीए ।। १३२४ ।। सक्कीसाणा पढ....... ॥४८॥ ||६८२॥ सक्को अ तस्सम..... सभा. ७७॥ W ॥ ९०९ ॥ ***** ।।६८१ ।। सक्को अ देवराया ॥ ४९८ ॥ ॥ १९० ॥ ***** सग्गहनिब्बुड एव....... ॥१३४४ ॥ ॥१०४९ ॥ ॥१०२॥ सज्झायझाणतव० ॥१५०६ ॥ प्र. सज्झायमचितता ****** ।।१४४३ ॥ सद्धि १८ पणपण १९ ॥१३७४ ॥ ॥ २६३ ॥ ॥१०६ ॥ ॥८९६ ॥ सत्तण्हं पयडीणं..... ॥८९५ ॥ सत्तवहवेहबंधणक ०.... ॥ध्या. १९ ॥ ||१३|| सत्तसहस्साणंतइजि०... ||११३३ ॥ सत्तसु परिमिय..... ॥२९२ ॥ सतुत्तरं सयाई. ..... ***** ॥२२३|| सत्तेगडाणस्स उ ॥४९७ ।। सत्तेया दिडीआ..... ***** ****** संघायमेगसमर्थ ..... संजमघाउवघाए. संजमजोए अब्मुट्ठियस्स.. संजमजोए ..... संजमजोएस सया संजयमणुहि जा...... संजयवेमाणित्थी...... संजोगसिद्धीइ फलं ..... संजोगाण दसह .. संज्ञासु दोसु सूरो संतपयं पडिवन्ने संतपयपरूवणया १ संतपयपरूवणया...... ***** संता तित्ययरगुणा संतिस्स कुमारतं. संती कुंथू अ अरो संत कुंथू अ अ....... ★ १५६ पछी. ...... ****** ***** ***** ***** ।।११७८ ॥ ॥१२७९ ॥ संवरियासबदारा ***** ..... ****** ॥ ११७१ ॥ सक्को सट्टवणे, पा. १०॥ ॥ भा. ११६॥ ॥७००॥ ॥ २०९ ॥ सचरित्तपच्छयावो...... ॥१२७॥ ॥ ८११ ॥ १८०७॥ १४६० ।। ॥ भा. ३४ ॥ ॥३१९॥ ॥ २१६ ॥ ॥ भा. ८१ ॥ ॥१८८॥ ॥३१०॥ ॥मा. २१७॥ प्र ।। || १६०१ ॥ ।।७८६ ॥ सद्दहण जाणणा खलु.... सहाइएस रागं दोसं ...... सद्दाइविसयगिद्धो सद्दाइविसयसाहण... ॥ ध्या. २२॥ ॥ध्या. १७॥ ...... सन्निहियाण बडारो ॥१३८५ ॥ सपडिक्कमणो धम्मो ..... ।। १२४५ ।। ****** ****** सप्पं च तरुव०...... सप्पं सयणे जणणी.... समणं वंदिज्ज........ समणा तिदंडविरया. समणो उ बणिव्व. समत्तस्स सुयस्स ॥१०३३ ॥ ॥६६३॥ १७३८॥ समभावमि ठियप्पा........ समभूमेवि अइभरी..... समया सम्मत्त : समयावलिअमुहुत्ता .... ॥ मा. १९९॥ समयावलिय मुहुत्ता...... समवाइ अंसमवाई.... समवाओ गोडी..... ॥ भा. २०॥ समहिंदा कप्प...... ॥ भा. ११९ ॥ समिला पब्भट्ठा समुट्ठाण १ वाय० ..... समुसरण भत्त उग्गह. समोसरणे केवइया. सम्मत्त ८ नाण ९ सम्मत्तं अचरितस्म सम्मत्तचरणसहिया..... १४८३४॥ ॥८८९ ॥ ॥३६२॥ ॥५४३॥ ॥८९७॥ ॥११६३॥ ॥८५९॥ ॥८५६ ॥ ॥८५१॥ ॥८५०॥ १८२२ ॥ ॥९१०॥ ॥८६१ ॥ ॥८५४ ॥ ॥१५००॥ ***** ***** सम्मत्तदेसविरई, सम्मत्तदेसविरवा सम्मत्तदेसविरया सम्मत्तसुयं सव्वासु .. सम्महंसणदिडो सम्मदिद्धि अमोहो ...... ..... **** ***** ॥७५३ ॥ ॥ १४२७ ॥ ..... सम्मसुयअगारीणं. सयणासणण्णापाणे..... ॥ भा. ७५ ॥ ॥१०९१॥ ॥११०७॥ ॥३५३॥ ॥९४०६ ॥ १८४९॥ ॥१५०५ ॥ ॥भा. २७८ ॥

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