Book Title: Avashyak Niryukti Part 03
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala
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૩૯૪ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ मगहारायगिहाइसु ..... ॥२३४॥ माणुस्स खेत्त जाई ..... ॥८३१॥ मेरुगिरितुंगसरिसो ...... ॥१२५६॥ मग्गसिरसुद्धइक्कारसीइ ....॥२५०॥ माणुस्सयं चऊद्धा ..... ॥१३५६॥ मेरुगिरीसमभारे न..... ॥३५१॥ मग्गे १ अविप्पणा०..... ॥९०३॥ मायरं पियरं वावि ...... ॥११९७॥ मोत्तुं गिलाणकज्ज... पा. २९॥ मच्छुव्वत्तं मणसा ....... ॥१२०९॥ माया य रुद्दसोमा... ॥७७५॥ मोत्तूणमेसिमिक्कं सेसाण..७८५॥ मज्जणणिसेज्जअक्खा....॥७०३॥ मायाए उस्सग्गं सेसं ...... ॥१५४२॥ मोरी नउलि बिराली... भा.१३८॥ मज्झत्थस्स उ....... ॥ध्या. ११॥ मारणया जीववहो २१... ॥भा. १९॥ मोरीयसन्निवेसे दो.... ॥६४४॥ मडयं मयस्स .....
भा. २६॥ मासं पाओवगया.... ॥६५९॥ | मोसलि संधि, ..... ॥५१०॥ मणपज्जवनाणं..... ७६॥ मासे २ अ तवो..... ॥१५७२॥ मोहपयडीभयं अभि०.... ॥१४५६॥ मणपरिणामो अ...... भा. ८९॥ माहकुंडग्गामे ...... ॥४५७॥ मोहे १ य झाण २..... भा. ११४॥ मणसहिएण उ...... ॥१४८८॥ माहेसरीउ सेसा पुरिअं... ॥७७२॥
[य] मणसा वावारंतो ..... ॥१४८०॥| मिगावई १ उमा ...... ॥४०९॥ यद्यपि मया तथा.... ॥२॥ मणिआई दोराइसु ..... भा. १५॥ मिच्छत्तकालियावाय० .... ॥९१३॥
[र]. ' ' मणिकणगरयणचित्तं ..... ॥५४५॥ मिच्छत्तपडिक्कमणं..... ॥१२५१॥ रज्जाइच्चाओऽवियर ..... ॥२१३॥ मणिकणगरयणचित्ते ..... ॥५४७॥ मिच्छत्तमोहणिज्जा ...... ॥१०९३॥ | रत्तुक्कडा उ इत्थी ..... ॥१३५७॥ मणिरयणहेमयाविय .... ॥५५०॥ मिच्छभयघोसण..... ॥१३२५॥ मणुए चउमण्णयरं ..... ॥५६५॥| मिच्छादिट्ठीयाणं जं.... ॥७८८॥ राइणियं वज्जेत्ता.... ॥६७१॥ मणुएहिं खलु जा..... पा.९॥ मित्ति मिउमद्दवत्ते..... ॥१५०७॥ राओवणीयसीहासणे ..... ॥५८९॥ मयहरगागारेहिं अन्न०..... ॥१५७५॥| मित्ति मिउमद्दवत्ते..... ॥६८६॥ रागद्दोसकसाए (य), ..... ॥९१८॥ मयहरपगए बहुप०...... ॥१३४८॥| मिहिला २१ सोरिअ०.... ॥३८४॥ रागद्दोसकसायास०..... ॥ध्या.५०॥ मरुदेवी१विजय २..... ॥३८५॥ मिहिलाए लच्छिघरे.... भा.१३२॥ रागेण व दोसेण..... भा. २५३॥ मलए पिसायरू ..... ॥५०८॥ मुक्कधुरासंपागडसेवी०....॥११२७॥ रागेण व दोसेण ..... ॥१४१३॥ मल्लिस्सवि वाससयं..... ॥२९५॥
रागो दोसो मोहो...... ॥ध्या. १३॥ महरिहसिज्जारूहणमि.... ॥१०८५॥ मुणिसुव्वए नर्मिमि ...... ॥४१८॥ रायकुलेसुऽवि जाया .... ॥२२२॥ महिया उ गब्भमासे..... भा.२१९॥ मुणिसुव्वओ अ ...... ॥३८१॥ रायगिह विस्सनंदी ..... ॥४४४॥ महिया य भिन्नवासे ..... ॥१३२८॥ मुत्तपुरीसनिरोहे जिण्णा०....॥७२६॥ रायगिह विस्सभूई ..... ॥४४५॥ महुपुग्गलाई तिन्नि ..... ॥१६०८॥ मुहपुग्गलरसयाणं..... ॥१६१०॥ रायगिहमगहसुंदरि ...... ॥१३१५॥ महुरपरिणाम सामं १.... ॥१०३१॥ मूअं हुंकारं वा..... ॥२३॥ रायगिहे गुणसिलए.... भा.१२८॥ महुराए जउण राया ...... ॥१२८३॥ मूढनइयं सुयं कालियं.... ॥७६२॥ राया आइच्चजसो .... . ॥३६३॥ महुराए जिणदासो ..... ॥४७०॥ मूढो व दिसिज्झ०...... ॥१३८२॥ राया इह तित्थयरो ..... ॥१३२६॥ महुसित्थ १७ मुद्दि १८ .... ॥९४२॥ मूयं च ढड्डुरं चेव, ...... ॥१२१२॥ राया करेइ दंडं सिटे ...... ॥१९८॥ मा मे एजउ काउत्ति ..... ॥१४७६॥ मूलगुणउत्तरगुणे ..... ॥१६१५॥ राया व रायमच्चो ..... ॥५८४॥ मा मे चलउत्ति ..... ॥१४७८॥ मूलगुणाणं लंभं... ॥१११॥ रुप्पं टंकं विसमा०..... ॥११३९॥ मा वेअणा उ तो ..... ॥१४२३॥ मूलगुणावि य दुविहा .... प्र.॥ रुप्पं पत्तेयबुहा टंकं ..... ॥११४०॥ माउयपयंति नेयं ...... ॥भा. २३३॥| मूलुत्तरगुणरूवस्स ......
रोगहरणं तिगिच्छा १७... ॥भा. १८॥ मागहमाई विजयो ..... ॥३४८॥ मूसाइ महाकायं...... ॥भा.२२१॥ रोद्दा य सत्त वेयण ..... ॥४६४॥r
★ १५५७५७ी. * १४२५ ५छी.

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