Book Title: Avashyak Niryukti Part 03
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala

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Page 397
________________ ૩૮૬ આવશ્યકનિયુક્તિ હરિભદ્રીયવૃત્તિ અકારાદિક્રમ छिण्णमि संसयमी ..... ॥६०९॥ | जइ पुण गच्छंताणं ...... ॥१३७३॥ | जह नाम कोइ मिच्छो ..... ॥९८३॥ छिण्णमि संसयंमी ..... ॥६१७॥ | जइ पुण निव्वाघाए ..... ॥१५२०॥ | जह नाम महुर० ....... ॥११२०॥ छिण्णमि संसयंमी ..... ॥६२१॥ | जइ फुसइ तहिं ....... भा.२२४॥|जह रोगासयसमण..... ॥ध्या.१००॥ छिण्णमि संसयंमी .... ॥६२९॥ | जइ य पडिक्कमियव्वं... ॥६८३॥जह वा घणसं०..... ॥ध्या.१०२॥ छिपणमि संसयंमी..... | जइ लिंगमप्यमाणं ..... ॥११२५॥ जह वारिमज्झछूढोव्व ..... ॥८३७॥ छिण्णमि संसयंमी .... ॥६३७॥ | जइ वासुदेव पढमो ..... ॥४३१॥|जह वेलंबगलिंग ...... ॥११३८॥ छिण्णमि संसयंमी ....... ॥६४१॥ | जइ हुज्ज तस्स...... ॥६७०॥ | जह सव्वकामगुणिअं .... ॥९८५॥ छिण्णमि संसयंमी...... ॥६०५॥ जइवि पडिमाउ जहा..... ॥११३६॥ जह सव्वसरीरगयं .... ॥ध्या.७१॥ छिन्नमि संसयंमी .... ॥६२५॥ जइवि वयमाइएहि.... ॥७१३॥ | जह सावज्जा ....... ॥११३४॥ छेलावणमुक्किट्ठाइ ... भा. २८॥ जणणी सव्वत्थ .... ॥१०८२॥ जहा खरो चंदणभार०,.... ॥१०॥ जण्णू २२ सव २३ ..... ॥२०५॥ | जहा जलंताइ(त)..... ॥१३१३॥ जं जं जे जे भावे ..... ॥७९४॥ जत्थ अपुव्वोसरणं ..... ॥५६८॥ | जहियं तु मासकप्पं ...... प्र.॥ जं जं जे जे भावे .... ॥७९५॥ जत्थ अपुव्वोसरणं..... ॥५४४॥ जा देवसिअंदुगुणं ...... ॥१५२३॥ जं जं निज्जी०..... भा. १५७॥ | जत्थ य एगो सिद्धो ..... ॥९७५॥ | जाइस्सरो अ भयवं..... ॥१९३॥ जं जस्स आउयं..... ॥१६३॥ | जत्थ य नत्थि ..... पा.५१॥ | जाईसरो अभयवं० .... भा.७१॥ जंतु पुरक्खडभावं... ॥१४३८॥ | जमचेयणत्ति ..... भा.२१८॥ | जाए दिसाए गामो ...... पा.५२॥ जं तेहिं दायव्वं ...... ॥१०९६॥ जम्मण विणीअ १...... ॥३९७॥ | जाणंतोऽवि य तरिउं..... ॥११४७॥ जं थिरमज्झवसाणं ...... ॥ध्या. २॥ जम्मणे नाम वुड्ढी ...... ॥१८६॥ | जाणगभविअइरित्त... भा. १५३॥ जं दिसि विकड्ढियं ...... पा.६२॥ जम्हा दंसणनाणा ..... ॥११६८॥ | जाणावरणपहरणे .... ॥८४३॥ जं दुक्कडंति मिच्छा तं.... ॥६८५॥ जम्हा विणयइ कम्म ...... ॥१२१८॥ | जारिसया लोअगुरू.....भा.३८॥ जं दुक्कडंति मिच्छा.... ॥६८४॥ | जसभद्दे सिरिकता ...... ॥१२९०॥ | जाव य कुंडग्गा०...... भा. ९१॥ जं पुण उद्दिसमाणा ...... ॥१५३८॥ | जस्स अणुन्नाए.... ७६७॥ जावंति अज्जवइरा ..... ॥७६३॥ जं पुण सुणिप्पकंपं...... ॥ध्या.७९॥ | जस्स य इच्छाकारो.... ॥६९०॥ | जावइया किर ..... ॥१५५५॥ जं वेलं कालगओ ...... पा.३८॥ जस्स सामाणिओ..... जावइया तिसमयाहार०... ॥३०॥ जं संठाणं तु इहं .... ॥९६९॥ | जह २ सुज्झइ ..... ॥११५६॥ | जावदवधारणमि ..... ॥१०४२॥ जंकारण णिक्खमणं ..... ॥५९५॥ | जह उल्ला साडीआ .... ॥९५६॥ जाहेवि य परितंता ..... ॥११७७॥ जंभिय बहि उजुवा०.... ॥५२६॥ जह करगओ निकिं०.. भा. २३९॥ | जिणचक्किदसाराणं .... ॥३६८॥ जभियगामे नाणस्स .... ॥५२४॥ | जह कायमणनिरोहे ..... ॥१४७७॥ | जिणदेसियाइ ...... ॥ध्या.५२॥ जइ अस्थिकायभावो... भा. २३२॥ | जह चिरसंचियमि०.... ॥ध्या.१०१॥ जिणपवयणउप्पत्ती.... ॥१२८॥ जइ अब्भत्थेज्ज.... ॥६६८॥|जह छेयलद्धनिज्जाम०.... ॥१५॥ | जिणवरमणुण्ण० ..... भा. १०७॥ जइ असणमेव सव्वं ..... ॥१५९१॥ | जह जच्चबाहलाणं.... ॥६७८॥ जड़ उवसंतकसाओ.... ॥११९॥ | जह तमिह सत्थवाहं.... ॥९०७॥ | जिणसाहूगुणकित्तण०.... ॥ध्या.६८॥ जइ एगग्गं चित्तं ....... ॥१४७३॥ | जह तिक्खरुईवि ....... प्र०॥ जइ ते चित्त ...... ॥१४८९॥ | जह दूओ रायाणं ..... ॥१२३०॥ | जीवनिकाया गावो ..... ॥१६॥ जइ ते लिंग पमाणं ..... ॥११२४॥ | जह नाणेणं न विणा ...... ॥११५४॥ | जीवप्पओगकरणं ..... भा.१५८॥ * ११५७ ५७.. * १२७४ पछी.

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