Book Title: Avashyak Niryukti Part 03
Author(s): Aryarakshitvijay
Publisher: Vijay Premsuri Sanskrit Pathshala
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निर्यक्तिभाष्यादिश्लोकानां अकारादिक्रमः ३८७ जीवमजीवे पाआ०..... ॥भा.१५६॥ | जो निच्चसिद्धजत्तो..... ॥९३६॥णाणे णिच्चब्भासो..... ॥ध्या. ३१॥ जीवमजीवे भावे ..... ॥१०१९॥ | जो पुण करणे जड्डो .... पा.३०॥णामं १ ठवणा २...... ॥१०५७॥ जीवमजीवे रूवम०..... ॥भा.१९६॥ | जो य तवो अणु०..... ॥५२७॥ | णामं ठवणा दविए ..... ॥१२२२॥ जीवाणऽणंतभागो......॥९०१॥ | जो समो सव्वभूएसु, .... ॥७९८॥ णाम ठवणा दविए ..... ॥१२३५।। जीवे कम्मे तज्जीव ..... ॥५९६॥ जो सव्वकम्मकुसलो ..... ॥९२९।। णामं ठवणा दविए ...... ॥१२३६॥ जीवो अणाइनिहणो ..... ॥१११६॥ | जो सव्वसिप्पकुसलो ..... ॥१३०॥णामं ठवणा दविए ..... ॥१२३७॥ जीवो उ पडिक्कमओ .....॥१२३३॥ | जो हुज्ज उ अस०..... ॥१३६८॥णामं ठवणा दविए ...... ॥१२३८॥ जीवो गुणपडिवन्नो ..... ॥७९२॥ | | जो हुज्ज उ अस०...... ॥१५२२॥ णामं ठवणा दविए ...... ॥१२४०॥ जीवो पमायबहलो ..... ॥८०२॥ | जो होइ निसिद्ध०.... भा.१२१॥णामं ठवणा दविए.... ॥१३२॥ जीवोवलंभ ८ सुय० .... ॥२१०॥
[झ]
णामं ठवणादविए...... ॥१२२०॥ जुंजणकरणं तिविहं ..... ॥१०२५॥ | झाइज्जा निरवज्ज..... ॥ध्या. ४६॥णामकरो १ ठवण..... ॥१०७०॥ जुगर्वपि समुप्पन्नं ....... ॥११५५॥ | झाणप्पडिवत्ति०..... ॥ध्या. ४४॥ णावि अपारिव्वज्जं ..... ॥४२८॥ जुज्जइ अकाल०....... ॥१५३७॥ झाणस्स भावणाओ.... ॥ध्या. २८॥णावि ताव जणो.... ॥भा.३१॥ जे जत्थ जया ....... ॥११७५॥ | झाणोवरमेऽवि मुणी..... ॥ध्या. ६५॥ ॥११७५॥
णिक्खेवो कारणंमी.... ॥७३७॥ जे जत्थ जया जइया ..... ॥११९०॥ . [ठ] . णिज्जुत्ता ते अत्था..... ॥८॥ जे जत्थ जया जइया .....॥११९१॥
| ठाणं पमज्जिऊणं... ७०४॥ णिहाए भावओऽवि .... ॥८१६॥ जे ते देवेहिं कया ..... ॥५५७॥ ठाणासह बिंदूस अ....... ॥१३९३॥ णहविगहापारव०....
७०७॥ जे बंभचेरभट्ठा ...... ॥१११०॥
[ड]
णिप्फेडियाणि ...... ॥८७०॥ जे सुत्तगुणा वुत्ता ...... पा. १६॥
णियमा मणुयगतीए.... ॥७४४॥ जेडा कित्तिय साई.... ॥४६॥| डक्को जेण मणुसा...... ॥१२६२॥
णिव्वेढणमुव्वट्टे ..... ॥८०६॥ जेट्ठा सुदंसण जमा०.. भा.१२६॥ डक्को जेण मणूसो ..... ॥१२५५॥
णीई हक्काराई १४.... भा. १६॥ जेणुद्धरिया विज्जा.....
डक्को जेण मणूसो .... ॥१२५७॥ ॥७६९।।
णीसवमाणो जीवो ..... ॥२८॥ जेणुवगहिओ वच्चइ ..... ॥१४३६॥ | डहरगगाममए वा..... भा.२२६॥
णेगमसंगहववहार०.... ॥७५४॥ जोइसिय भवण०..... भा.११७॥
[ण]
णेगेहिमाणेहिं मिणइत्ती.... ॥७५५॥ जो इंदकेउं सम०..... भा.२१३॥ | ण सेणिओ आसि..... ॥११५९॥
णेरडअदेवमणुआ..... भा.२००॥ जो कन्नाइ धणेण य.... ॥७६८॥ | णइखेडजणव उल्लुग...भा.१३४॥
णेरड्यदेवतित्थंकरा य...... ॥६६॥ जो कोंचगावराहे ...... ॥८६९॥ | णत्थि णएहि विहूणं..... ॥७६१॥
णोआहारंमी जा सा..... पा.७७॥ जो खलु तीसइव०.... भा. २३७॥ | णस्थि य सि कोइ ...... ॥८६८॥
णोएगिदिएहिं जा सा ..... पा.५॥ जो गच्छंतमि विही ..... ॥१३८३॥ | णयरंच सिंब०...... ॥१३१८।।
णोतसपाणेहिं जा ... पा. ७१।। जो गुज्झएहिं बालो.... ॥७६५॥ | णयरं सुदंसणपुरं ....... ॥१२९९॥ जो चूयरुक्खं ......
पा.६९॥ ॥भा.२१५॥ | णव धणुसया य.... ॥१५६॥
णोमणुएहिं जा सा ...... जो जहियं सो तत्तो..... ॥पा.५८॥ | णवमो अमहापउमो.... ॥३७५॥
[त] . जो जाहे आवन्नो ..... ॥१२४६॥ णवमो अ महापउमो..... भा.३९॥ तं केसु कीई ..... भा. १७६॥ जो णवि वट्टइ रागे ..... ॥८०३॥णाणं पयासगं.... ॥१०३॥ तं च कहं ....
॥४५५॥ जो तिहि पएहि ...... ॥८७२॥ | णाणायट्ठा दिक्खा .... पा. २२॥ तं च कहं वेइज्जइ ?.... ॥१८३॥ जो (तो) जत्थ ...... ॥ध्या. ३७॥ | णाणे जोगुवओगे....... ॥८०५॥ | तं च कहं वेइज्जइ ?.... ७४३॥

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