Book Title: Atmabodh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 5
________________ अनुक्रमणिका निवेदन आप्तवाणी मुख्य ग्रंथ है, जो दादा भगवान की श्रीमुख वाणी से, 'ओरिजिनल' वाणी से बना है, उसी ग्रंथ के सात विभाजन किये गये है, ताकि वाचक को पढ़ने में सुविधा हो । 1. ज्ञानी पुरूष की पहचान 2. जगत कर्ता कौन ? 3. कर्म का विज्ञान 4. अंत:करण का स्वरूप 5. यथार्थ धर्म 6. सर्व दु:खों से मुक्ति 7. आत्मा जाना उसने सर्व जाना परम पूज्य दादाश्री हिन्दी में बहुत कम बोलते थे। कभी हिन्दी भाषी लोग आ जाते थे, जो गुजराती नहीं समझ पाते थे. उनके लिए पज्य श्री हिन्दी बोल लेते थे। उस वाणी का कैसेट में से ट्रान्स्क्राइब करके आप्तवाणी ग्रंथ बना है ! उसी आप्तवाणी ग्रंथ को फिर से संकलित करके यह सात छोटेछोटे ग्रंथ बनाये हैं ! उनकी हिन्दी 'प्योर' हिन्दी नहीं है, फिर भी सुननेवाले को उनका अंतर आशय एक्जैक्ट' पहुँच जाता है। उनकी वाणी हृदयस्पर्शी, मर्मभेदी होने के कारण, जैसी निकली वैसी ही संकलित करके प्रस्तुत की गई है, ताकि जिज्ञासु वाचक को उनके 'डाइरेक्ट' शब्द पहूँचे। उनकी हिन्दी, याने गुजराती, अंग्रेजी और हिन्दी का मिश्रण। फिर भी सुनने में, पढ़ने में बहुत मीठी लगती है, नेचरल लगती है, जीवंत लगती है। जो शब्द है, वह भाषाकीय द्रष्टि से सीधे-सादे हैं किन्तु 'ज्ञानी पुरुष' का 'दर्शन' निरावरण है, इसलिए उनके प्रत्येक वचन आशयपूर्ण, मार्मिक, मौलिक और सामनेवाले के व्यू पोइंट को एक्जैक्ट समझकर निकलने के कारण श्रोता के 'दर्शन' को सुस्पष्ट खोल देते हैं और अधिक ऊँचाई पर ले जाते १. आत्मा - निर्गुण या सगुण ? २. आत्मा - द्वैत या अद्वैत ? ३. सत्य क्या ? ब्रह्म? जगत ? ४. मालिकीभाव, वहाँ चेतन ? ५. सर्वव्यापी, चैतन्य या चैतन्यप्रकाश ? ६. जड़, चेतन : स्वभाव से ही भिन्न ! ७. आत्मशक्ति और प्राकृत शक्ति ! ८. क्या चेतन सर्वत्र है ? ९. सक्रियता में शुद्ध चेतन कहाँ ? १०. आत्मा का रीयल स्वरूप ! ११. आत्मा का स्थान कहाँ ? १२. चेतन तत्त्व को देखना कैसे? १३. विशेष परिणाम का सिद्धान्त ! १४. विश्व के सनातन तत्त्व ! १५. जगत की वास्तविकता ! १६. आप खुद कौन हो? १७. 'I' कौन? 'My' क्या ? १८. अध्यात्म में ब्लन्डर्स क्या? मिस्टेक्स क्या ? १९. परनानेन्ट शांति - कैसे? २०. संसार परिभ्रमण का रूट कोज़ ! २१. मिथ्यात्व द्रष्टिः सम्यक द्रष्टि ! २२. पात्रता का प्रमाण ! २३. आत्मज्ञान-प्राप्ति कैसे ?! २४. आत्म अनुभव : ज्ञान से या विज्ञान से? २५. ड्रामा कभी सच हो सकता है ?! २६. व्यवहार का निरीक्षक, परीक्षक कौन ? २७. महत्वता, भौतिक ज्ञान की या स्वरूप ज्ञान की? २८. ज्ञान-अज्ञान का भेद ! २९. क्या आप 'अपने' धर्म में हो? ३०. संसार में मोक्ष (!) ३१. साध्यप्राप्ति में 'आवश्यक' क्या ? ३२. क्या पसंद? सीड़ी या लिफ्ट ? - डॉ. नीरबहन अमीन

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