Book Title: Atmabodh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 13
________________ आत्मबोध आत्मबोध दादाश्री : आत्मा तुच्छ होती ही नहीं। प्रश्नकर्ता : विचार तुच्छ हो जाते हैं, तो आत्मा तुच्छ हो जाती प्रश्नकर्ता : तो रीयल फेक्ट क्या है? दादाश्री : रीयल में आत्मा तो ये शरीर को जिधर पीन लगाते है और इफेक्ट होती है, दु:ख (दर्द) होता है, वहाँ सब जगह पर आत्मा है। हेयर कटींग करता है और नेईल कटींग करता है, उसमें आत्मा नहीं है। बाल काटो तो दु:ख नहीं होता, तो बाल में आत्मा नहीं है और ये नाखून काटो तो भी दुःख नहीं होता, तो नाखून में भी आत्मा नहीं है। जिधर दुःख होता है, वहाँ आत्मा है। दादाश्री : नहीं, आत्मा तुच्छ कभी नहीं होती, कभी हुई भी नहीं। ये पेड़ को कहाँ विचार आता है? प्रश्नकर्ता : वो तो जड़ है। दादाश्री : नहीं, वो जड़ नहीं है। पेड़ को ज्ञान है, ज्ञान के बिना कोई जिन्दा रहता ही नहीं। जब काट लिया फिर उसकी लावण्यता खतम हो जाती है। तो उसको भी ज्ञान है। उसको एकेन्द्रिय का ज्ञान है। आपको पंचेन्द्रिय का ज्ञान है। चींटी को तीन इन्द्रिय का ज्ञान है। मक्खी को चार इन्द्रिय का ज्ञान है। प्रश्नकर्ता : पेड़ को कौन सी इन्द्रिय का ज्ञान है? दादाश्री: वो स्पर्शेन्द्रिय का ज्ञान है। उसको हाथ लगाया तो मालूम हो जाता है, उसको काट दिया तो मालूम हो जाता है और दुःख भी होता है। जिधर कुछ न कुछ ज्ञान है, वहाँ भगवान है। दूसरी जगह पर भगवान नहीं है। इस घड़ी को कुछ ज्ञान नहीं है, तो इसमें भगवान नहीं है। भगवान खुद ज्ञान स्वरूप ही है। वो जो दूसरा चलता-फिरता है, वो अनात्मा है, कम्प्लीट अनात्मा है। लेकिन इसके अंदर भगवान है, इसलिए वो चंचल दिखता है। प्रश्नकर्ता : यहाँ हाथ पर पीन लगाई तो उसकी असर मन को होती है और मन तो आत्मा नहीं है। दादाश्री : नहीं, मन तो फिजिकल है. कम्प्लीट फिजिकल है। लेकिन वो आँख से देखा जा सके ऐसा फिजिकल नहीं है। प्रश्नकर्ता : लेकिन फिजिकल तो ये शरीर है न? दादाश्री : Mind is physical, body is physical and speech is physical! प्रश्नकर्ता : तो आत्मा कहाँ है? दादाश्री : वो यह शरीर में ही है। प्रश्नकर्ता : कोई ऐसे विशेष स्थान में होना चाहिए न? दादाश्री : नहीं, वो कोई एक जगह पर नहीं है। जिधर पीन लगाने से असर होती है, वहाँ ही आत्मा है। कभी शरीर का पार्ट खतम हो जाता है, खून बंध हो जाता है, पक्षाघात हो जाता है, उस भाग में आत्मा नहीं है। अज्ञानी को भी वो अलग है, लेकिन उसकी बिलीफ रोंग है। उसकी जो बिलीफ रोंग है और रोंग ज्ञान है, उसे तोड़नेवाला कोई नहीं मिला है। इसलिए ऐसे ही बिलीफ में और बिलीफ में उलटा चला गया। कभी 'ज्ञानी पुरुष' ये रोंग बिलीफ तोड़ दे, फ्रेकचर कर दे तो फिर वो मुक्त हो जाता है। आत्मा का स्थान कहाँ ? प्रश्नकर्ता : इन्सान के शरीर में आत्मा का निवास कहाँ है? दादाश्री : ऐसा निवास नहीं है, एक जगह पर। प्रश्नकर्ता : ऐसा सुना है कि आत्मा हार्ट की जगह पर है। दादाश्री : वो बात करेक्ट नहीं है, रीयल करेक्ट नहीं है।

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