Book Title: Arya Sthulabhadra aur Kosha
Author(s): Mohanlal C Dhami, Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 288
________________ सिंह गुफावासी ने गुरु की स्वीकृति के बिना ही पाटलीपुत्र की ओर विहार कर दिया। आर्य स्थूलभद्र आचार्य के साथ ही रहे। गुरुदेव उन्हें विशेष अभ्यास कराना चाहते थे। और पाटलीपुत्र में देवी रूपकोशा जीवन के मंगलमय परिवर्तन की पांखों से ज्ञान-मार्ग में उड़ रही थी। २७७ आर्यस्थूलभद्र और कोशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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