Book Title: Arya Sthulabhadra aur Kosha
Author(s): Mohanlal C Dhami, Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 295
________________ यह सुनकर मुनि अत्यन्त प्रसन्न हुए। वे बोले- 'सुन्दरी कोशा! आज मेरे आनन्द का कोई पार नहीं रहा है....मैं अभी नेपाल की ओर प्रयाण करता हूं।' और संध्या के समय मुनि ने नेपाल की ओर स्थान कर दिया। चातुर्मास के नियम की उन्हें परवाह नहीं थी। वर्षा और तूफान का कोई भय नहीं था। साधु के आदर्शों का उन्हें भान नहीं था। रूप की भूख कितनी भयंकर होती है, इसका भान अभी मुनि को था ही नहीं। आर्य स्थूलभद्र और कोशा २८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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