Book Title: Apbhramsa Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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स्त्रीलिंग - अमु (वह)
बहुवचन ओइ
ओइ
प्रथमा द्वितीया तृतीया [चतुर्थी
एकवचन अमु, अमू अमु, अमू अमुए, अमूए अमु, अमू अमुहे, अमूहे
अमुहिं, अमूहिं अमु, अमू अमुहु, अमूहु
(षष्ठी
पंचमी सप्तमी
अमुहे, अमूहे अमुहिं, अमूहिं
अमुहु, अमूहु अमुहिं, अमूहि
पुल्लिंग - कवण (कौन, क्या, कौनसा)
प्रथमा द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
एकवचन
बहुवचन कवण, कवणा, कवणु, कवणो कवण, कवणा कवण, कवणा, कवणु कवण, कवणा कवणे, कवणेण, कवणेणं कवणहिं, कवणाहिं, कवणेहिं कवण, कवणा
कवण, कवणा कवणसु, कवणासु कवणहं, कवणाहं कवणहो, कवणाहो, कवणस्सु कवणहां, कवणाहां कवणहुं, कवणाहुं कवणहिं, कवणाहिं कवणहिं, कवणाहिं
(षष्ठी
पंचमी सप्तमी
182
अपभ्रंश रचना सौरभ
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