Book Title: Apbhramsa Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 208
________________ चउ (तीनों लिंगों में) प्रथमा द्वितीया बहुवचन चत्तारो, चउरो, चत्तारि चत्तारो, चउरो, चत्तारि चऊहि, चऊहिं, चऊहिँ तृतीया चतुर्थी चउण्ह, चउण्हं (षष्ठी पंचमी चउत्तो, चऊओ, चऊउ, चऊहिन्तो, चऊसुन्तो, चउओ, चउउ चउहिन्तो, चउसुन्तो चऊसु, चऊसुं , चउसु, चउसुं सप्तमी पंच (तीनों लिंगों में) प्रथमा द्वितीया तृतीया (चतुर्थी बहुवचन पंच पंच पंचहि, पंचहिं, पंचहिँ पंचण्ह, पंचण्हं (षष्ठी पंचमी पंचत्तो, पंचाओ, पंचाउ, पंचाहि, पंचाहिन्तो पंचासुन्तो, पंचेहि पंचसु, पंचसुं सप्तमी अपभ्रंश रचना सौरभ 189 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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