Book Title: Apbhramsa Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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198
तृतीया एकवचन
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पुल्लिंग
देव - अ अ-ए-एं ण-एण णं-एणं
हरि - इ एं, एं-ईएं ('), (').ई. ण, ण-ईण णं, णं-ईणं
गामणी - ई एं, एं-इएं ('), (')-इं ण, ण-इण णं, णं-इणं
साहु - उ एं, एं--ऊएं ('), (')-ऊं ण, ण-ऊण णं, णं-ऊणं
सयंभू - ऊ एं, एं-उएं (), (')-उं ण, ण-उण णं, णं-उं
नपुंसकलिंग
कमल-अ
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अ-ए-एं ण-एण णं- एणं
महु - उ एं, एं-ऊएं ('), (')-ऊं
('), (')-ई ण, ण-ईण णं, णं-ईणं
ण.ण-ऊण
णं, णं-ऊणं
स्त्रीलिंग
अपभ्रंश रचना सौरभ
कहा -
आ
मइ-इ
लच्छी - ई
धेणु - उ
बहू - ऊ
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