Book Title: Apbhramsa Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अट्ठ (तीनों लिंगों में)
बहुवचन अट्ठ
अट्ठ
प्रथमा द्वितीया तृतीया 'चतुर्थी व
अट्ठहि, अट्ठहिं, अट्ठहिँ
अट्ठण्ह, अट्ठण्हं
.षष्ठी
पंचमी
अट्ठाओ, अट्ठाउ, अट्ठाहिन्तो, अट्ठासुन्तो अट्ठसु, अट्ठसुं
सप्तमी
णव, नव (तीनों लिंगों में)
बहुवचन
प्रथमा
णव
द्वितीया तृतीया चितुर्थी
णव णवहि, णवहिं, णवहिं
णवण्ह, णवण्हं
षष्ठी पंचमी सप्तमी
णवाओ, णवाउ, णवाहिन्तो, णवासुन्तो णवसु, णवसुं
अपभ्रंश रचना सौरभ
191
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