Book Title: Anuyogdwar Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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श्री
द्रव्या
वश्यक
अनुयोग चूर्णी
SAHARSASAR
सेसा इंदाइया कंठा, तेसु इमे आवस्सए करेंति-उवलेवर्ण लिंपणं, संमज्जणं वोहरण, आवरिसणं उदकैण, सेस कंठ्यं । कुप्पावणियं दव्वावस्सतं गतं, 'से किं तं लोगुत्तरियं' इत्यादि (२१-२६)जहा टे(फे)णगादिणा घट्टा सरीरं केसा वा उदकादिणा मट्ठा कता केसा सरीरं वा तेल्लेण तुप्पिता-मक्खिता जेसिं ते तुप्पोट्ठा तुप्पिता वा उट्ठा सिद्धकेण जेसिं ते तुप्पोट्ठा, सेसं कंव्यं, सद्धासंवेगरहितत्तणतो, दव्वावस्सतं गतं । ‘से किं तं भावावस्सयं' इत्यादि, (२२-२८) संवेगजणितविसुज्झमाणभावस्स सुतमणुस्सरतो तदा भावयोगपरिणयस्स आगमतो भावावस्सगं भवति, णोआगमतो भावावस्सयं णाणुपयोगेण किरियं करेमाणस्स णाणकिरियारूवसुभोवयोगपरिणयस्स णोआगमतो भावावस्सतं, तंतिविधं--तत्थ 'लोइयं पुवण्हे भारहं' (२५-२८) इत्यादि कंठ्यं, कुप्पावइणियं 'जे इमे चरग' इत्यादि इज्जत्ति वज्जा माया मज्जा भणिया देवपूया वा इज्जा तं गायत्र्या आदिक्रियया उभयस्स सोहणा करेंति दोवि करा नउलसंठिया तं इट्ठदेवताए अंजलि करेंति, अण्णे भणंति-इज्जा इति माता तीए गब्भस्स णिग्गच्छतो जो करतलाणं आगारो तारिस देवताए अंजलिं करेंति, अहवा माउपियं भत्ता देवयमिव मण्णमाणा अंजलिं करेंति, सा | इज्जंजली, इट्ठदेवयाए वा अंजलि इटुंजली, होम अमिहोत्तियाणं जं पढमओ जपः, देसीवयणतो उंडं मुहं तेण रुकंति-सद्दकरणं, तं |च वसभढिकियाइ, णमोकारो जधा णमो भगवते आदित्याय, एवं खंदादियाणधि बत्तव्यं, गतं कुप्पावयणीण भावावस्सयं । इदाणि ‘से किं तं लोगुत्तरियं' इत्यादि (२७-३०) तच्चित्तादि पया एगट्टिता, अहवा एगस्सेवऽत्थस्स तदंसत्ता भिण्णत्था नै | भवंति घटग्रीवाकुक्ष्यादि, इह पुण इमेण विहिणा-णिच्छयणयाभिप्पाएण चित्त इत्यात्मा, तहेव चित्तं तम्हि वा चित्तं तच्चित्तं, अहवा | मतिसुतणाणभावे चित्तं, अहवा आवस्सयकरणकाले चेत्र अण्णोण्णसुत्तत्थकिरियालोयणं चित्तं, तदेव मनोद्रव्योपरंजितं मनः, 4
RA-RAS
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