Book Title: Anuyogdwar Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 14
________________ अनुयोग चूर्ण ॥१२॥ मिक्सरोकातुं कण्णभिक्खादि गोण इव भक्खयता अहवा वत्थामरणा मल्लं, समा जत्थ भारहाइयाइकहाहिं जणो अच्छती, पवा जत्थ उदगं दिज्जति, आरामो विविधफलजाति-13 उवसोभितो आरमंते वा जत्थ णरणारीजणा, उज्जाणं विविहजगोवसोमितं अहवा ऊसवअणूसवेसु वा मंडियपसाहितो जणो अस- णादि णेतुं जत्थ झुंजति तं उज्जाणं । गतं लोइयं दवावस्सयं, 'से किं तं कुप्पावयणित (२०-२४) इत्यादि, जडाहि भिक्खं हिंडंति ते चरगा, चीरपरिहाणा चीरपाउरणा चीरमंडोवकरणावचीरीया, चम्मपरिहाणा चम्भपाउरणा चम्ममंडोवकरणाय चम्महिं-18 & डंता चम्मखण्डिता वा, भिक्खं उडेंति भिक्षाभोजना इत्यर्थः बुद्धसासणत्था वा सिखंडी, पंडुरंगा सारक्खा, पायवडणादिविविह सिक्खाइ बहल्लं सिक्खावंतो तं चेव पुरो कातुं कण्णभिक्खादि अडतो गोतमा, गावीहिं समं गच्छंति चिट्ठति वसंति य आहारिमे |य कंदमूलपत्तपुप्फफले आहरिति सरगवरगमायणेसु य दिण्णं असणादि गोण इव भक्खयंतो गोव्वतिया, सव्वसाधारणतो गृहधर्म एव श्रेयान् अतो गृहधर्मे स्थिता गृहधम्मत्था, गौतमयाज्ञवल्कप्रभृतिभिः ऋषिभिर्या धर्मसंहिता प्रणिता तं चिंतयंतः तामिळवहरतो धर्मचिंतगा भवंति, ते च जने प्रत्याख्याताः धर्मसंहितापाठकाः, अविरुद्धा वेणइया वा हत्थियारपासंडत्था जहा | वेसियायणपुत्तो सम्वदेवताणं तिरियाण य सव्वाविरोधपणामकारित्तणतो य अविरुद्धधम्मठिता भणिता, विरुद्धा अकिरियावायविता सबकिरियावादी अण्णाणियवेणईएहिं सह विरुद्धा, ण य तेसिं कोवि देवो पासंडो वा विज्जति, तहवि केई धिज्जीविताइकज्जेण देवतं पासंडं वा पडिवन्ना विरुद्धधम्मचिन्ता भणिया, उस्सण्णं वुड्डवते पव्वयंतित्ति'तावसा वुड्डा भणिता, सावगधम्मातो पसूयत्ति बंभणा बोहगत्ति भणिता, अण्णे भणंति-वुड्डा सावगा बंभणा इत्यर्थः, स्कंद:-कार्तिकेयः मुगुंदो-बलदेवः, दुर्गायाः पूर्वरूपं अत्र कूष्माण्डिवत् तधाठिता अज्जा भन्नति, सैव महिषव्यापादनकालात्प्रभृति तद्पस्थिता कोडन्या भण्णति, मसहिता प्रणिता १२॥

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