Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ होवानुं स्वीकारी शकाय. प्रूफवाचन ए हलकुं के मजूरीनुं काम होवानी मानसिकता, आथी ज, बदलवी जरूरी छे. नबळां प्रूफवाचनने कारणे आपणां केटकेटलां सामयिको तथा पुस्तको अशुद्ध रूपमां छपाय छे ! घणीवार तो उत्तम सामग्री पण प्रूफ-दोषोने कारणे वांचवानुं छोडी देवू पडे ! सामयिकोए तथा प्रकाशन-गृहोए जे ते संशोधक तथा लेखक पासे ज तेमनी सामग्रीनां प्रूफो वंचाववां जोईए, अने शुद्ध रूपमां ज ते छपाय तेवो आग्रह राखवो जोईए. तो विद्वानोए पण प्रूफवाचनने पोताना मान-मोभाने बिनअनुरूप काम न मानीने, संशोधन के सम्पादननो ज ए एक हिस्सो छ एम समजीने, कोई जुदा वळतरनी अपेक्षा राख्या वगर ज, प्रूफो सुधारी आपवां जोईए. तो ज तेमनुं कृति-संशोधन सम्पूर्ण थयुं गणाय अने तो ज कृतिने पण उचित न्याय आपी शकाय. प्रूफवाचन शीखवं ए पण एक अभ्यासक्रम बने अने न आवडतुं होय तेवा जनो ते शीखे, तो संशोधन-सम्पादननी दुनियामां पायानो फेरफार अवश्य आवे. - शी.Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 338