Book Title: Anusandhan 2013 07 SrNo 61
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ ॐ 3 अत्रे प्रकाशित पत्रोनी हस्तप्रतो के तेनी जेरोक्स नकलो विविध संस्थाओ के व्यक्तिओ तरफथी प्राप्त थयेल छे, ते सहुनो उल्लेख तथा ऋणस्वीकार कर्या विना आ नोंध अधूरी ज गणाय. ते नामो आ प्रमाणे छे : १. अभय जैन ग्रन्थालय - बीकानेर २. राजस्थान प्राच्यविद्या.शोध प्रतिष्ठान - जोधपुर महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाशन शोधकेन्द्र - जोधपुर श्रीलावण्यविजय जैन ज्ञानभण्डार - राधनपुर शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढी जैन ज्ञानभण्डार - लींबडी ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर - अमदावाद ७. श्रीकैलाससागरसरि ज्ञानमन्दिर - कोबा ८. श्रीनेमिविज्ञानकस्तूरसूरि ज्ञानमन्दिर - सूरत ९. श्री प्रेमल कापडिया - मुम्बई १०. मुनि श्रीधुरन्धरविजयजी - डीसा ११. जैन आत्मानन्द सभा - भावनगर १२. जैनानन्द पुस्तकालय - सूरत १३. कान्तिविजय शास्त्रसंग्रह - वडोदरा १४. सागरगच्छ जैन ज्ञानभण्डार - पाटण आमां मुनि श्रीधुरन्धरविजयजीए पोताना निजी ग्रन्थागारमाथी केटलाक मूळ पत्रो (क्र. ७, १३, २०, ३४) तथा जेरोक्स पत्रो (क्र. २३, ३८, ४४, ४७, ५१, ५४) आपेल छे. जोधपुर तथा बीकानेरना पत्रोनी नकल मेळवी आपवामां पार्श्वचन्द्रगच्छीय उपाध्याय श्रीभुवनचन्द्रजीए खूब श्रम लीधो छे. तेमनी सातत्यपूर्ण महेनत वगर ते पत्रो (क्र. १ थी ६ तथा अन्य पत्रो) न ज मळ्या होत. राधनपुर, कोबा वगेरेना पत्रोनी नकल मेळववामां साबरमतीना श्रावक बाबुलालजी सरेमलजीए सहाय करी छे. ला. द. विद्यामन्दिरना पत्रो प्राप्त करवामां शेठ श्रीश्रेणिकभाई तथा डॉ. जितेन्द्र बी. शाहनो सहकार मळ्यो छे. आ बधायनो आभार मानतां आनन्द थाय छे. एक कार्य अनेकोना सहयोग विना शक्य नथी होतुं, ए नियम अहीं साचो ठों छे. अंगत संग्रहगत पत्रोने बाद करतां, तमाम पत्रोना छेडे, ते ते पत्रना स्थान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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