Book Title: Anusandhan 2013 07 SrNo 61
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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शिष्यो, आ जीवनमां ज नहि, पण आगामी जन्ममां पण, आ गुरुथी अन्य कोई पण गुरुनी आज्ञा अने उपासना स्वीकारवा माटे तैयार नहोता थता - अर्थात् जन्मान्तरमां पण आ गुरुनी ज उपासना तथा आज्ञा मळे तेम इच्छता हता.
आ पत्र 'लास' नामना गामथी लखेलो छे, ते क्षेत्रनुं वर्णन ५६-५९मां थयुं छे. लास ए राजस्थान (मारवाड)मां आवेलुं एक गाम छे, जे आजे कैलासनगर एवा नामे ओळखाय छे. सम्भवतः आ पत्र ते ज लास गामथी लखायो होवो जोईए.
पछीनां पद्योमा वृत्तान्तवर्णन छ : 'कुमारपालप्रतिबोध' नामे शास्त्र पर व्याख्यान चालता होवानी वात (६४), पर्युषणपर्व, नव व्याख्यानो वडे कल्पसूत्रवांचन, पोथीनो वरघोडो, साधर्मिकभक्ति, इत्यादि विगतो छ (६५-६९). साधुओनां नामपूर्वक तेमना व्याश्रयादि ग्रन्थोनां अध्ययन विशे, तेमनां तप तथा योगवहन विशे वर्णन थयुं छे (६९-७३). ७३-८५मां श्रावको-श्राविकाओनी धर्मकरणीनी वात थई छे, तेमां पौषध, छठ्ठ, अट्ठम, उपधान, प्रतिमा, स्थानक तप, योगशुद्धिइन्द्रियजयकषायजय तप, शिवकुमारना छठूतप तथा अन्य तपो कर्यानी नोंध मळे छे. जाल्हा नामे अन्त्यजे पण अट्ठाई करेली तेनो पण उल्लेख (८४) छे..
श्रावको - श्राविकाओनां नामो पण ध्यानार्ह छे. विरूआक (७३), सीहा, नामड, राणा, देवा, लूणा, नउला, भीमा, कीता (७४), लोहा, पीञ्चा (७५) काजा इत्यादि नामो श्रावकनां छे. तेमां काजा अने सीहा वगेरे छ श्रावकोए तो कायोत्सर्गमुद्राए कल्प-श्रवण कर्यानो निर्देश (७७) बहु नोंधपात्र छे. ६२ श्राद्धोए पौषध तथा १२० श्राद्धोए प्रतिक्रमण कर्यानी नोंध, ते गामनी नानी वसतिसंख्यानो संकेत आपे छे. श्राविकाओनां नामो जेवां के रूपी, सूमी, भूडी, सांपी, मणगू, लूणी, पांची, बोखी वगेरे, मारवाडी नामोनी खासियत धरावता लागे.
८७ थी ९६ पद्योमां गच्छपति पासेना मुनिवरोनां नामो तथा तेमना गुणगणोनुं वर्णन थयुं छे. ९९मां पद्यमां प्रवर्तिनी साध्वी कल्याणचूलानु नाम, तेमज ९७-९८मां तेमनुं गुणवर्णन थयुं छे. पछीनां पद्योमां श्रावकोनी विशिष्टताओ वर्णवीने तेमनां नाम लीधा वगर तेमने धर्मलाभ पाठव्या छे. १०९मां पोतानी पासेना साधु-श्रावकादि तरफथी विनयनिवेदन छे, अने ११०मा पद्यमां आसो वदि ६ना पत्र लख्याना सूचन साथे पत्र समाप्त कर्यो छे.
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