________________
जान्युआरी
२०१३
जैन आचार्य वोसरि का भी एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्राप्त होता है ।
निमित्त शास्त्र
निमित्त शास्त्र भी जैनाचार्यों का प्रिय विषय रहा है । जयपायड़ इस विषय की प्राकृत भाषा की एक प्रसिद्ध रचना है । इसके अतिरिक्त निमित्तपाहुड, जोणीपाहुड, रिठ्ठसमुच्चय, साणकय (श्वानकृत), छायादार, नाडीदार, उवस्सुइदार, निमित्तदार, रिठ्ठदार, पिपीलियानाण, करलक्खण, छींकवियार आदि इस विषय की प्राकृत कृतियाँ है ।
-
I
इस प्रकार शिल्पशास्त्र में ठक्करफेरूकृत वत्थुसारपयरण आदि ग्रन्थ भी प्राकृत में उपलब्ध हैं । प्राकृत आगम साहित्य में भी जैन खगोल, भूगोल, गणित, चिकित्साशास्त्र, प्राणीविज्ञान आदि से सम्बन्धित विषय वस्तु प्राकृत भाषा में उपलब्ध है । आज जैनाचार्यों द्वारा प्राकृत भाषा में रचित अनेक ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं एवं शोध की अपेक्षा रखते हैं । विस्तार भय से मैं अधिक गहराई में न जाकर इस चर्चा को यहीं विराम दे रहा हूँ । मैने इस आलेख में प्राकृत भाषा में रचित जैन कृतियों के नाम मात्र दिये हैं । जहाँ तक सम्भव हो सका लेखक और रचनाकाल का भी संकेत मात्र किया है । ग्रन्थ की विषय वस्तु एवं अन्य विशेषताओं की कोई चर्चा नहीं की है । अन्यथा यह आलेख स्वयं एक पुस्तकाकार हो जाता है । यह भी सम्भव है कि मेरी जानकारी के अभाव में कुछ प्राकृत ग्रन्थ छूट भी गये हो, एतदर्थ मैं क्षमाप्रार्थी हूँ । विद्वानों से प्राप्त सूचना पर उन्हें सम्मिलित किया जा सकेगा ।
Jain Education International
२०१
For Private & Personal Use Only
प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.)
www.jainelibrary.org