Book Title: Anant Akash me
Author(s): Atmadarshanvijay
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 50
________________ एक बाण छोड़ने का प्रण के कारण चेटक ने दूसरा बाण नहीं छोड़ा। दूसरे दिन भी चेटक ने दूसरा बाण छोड़ा तो उसकी भी वैसी ही हालत हुई। युद्ध में पहले दिन ९६ लाख मनुष्यों का संहार हुआ जब कि दूसरे दिन ८४ मनुष्य लाख मृत्यु को प्राप्त हुए। असंख्य हाथी-घोड़े आदि पशु भी नाश हुए। कोणिक पत्नी की एक छोटी सी हठ के कारण केवल दो दिन में एक करोड़ अस्सी लाख लोग मृत्यु को प्राप्त हुए। मारे गये उसमें एक ही मनुष्य देवलोक में गये व एक ही सैनिक मनुष्य भव में। शेष सब दुर्गति को प्राप्त हुए। दैवी शक्ति के समक्ष विफल होकर राजा चेटक अपनी सेना सहित वैशाली नगरी में प्रवेश कर गया। कोणिक ने अपनी शक्तिशाली सेना से वैशाली को चारों तरफ से घेर लिया। इधर हल्ल और विहल्ल सेचनक हाथी पर बैठकर नगर को घेरे हुए सैनिकों को रात में कुचलने लगे। इस प्रकार अपने सैन्य का संहार देखकर चिंतित कोणिक ने चतुर मंत्रियों की सलाहानुसार हाथी के आने के मार्ग पर गहरी खाई खुदवा दी और उसमें अंगारे डलवा दिये। अपने विभंग ज्ञान से यह सब जानकर हल्ल-विहल्ल द्वारा प्ररित हाथी रात को आगे नहीं बढ़ा। तब हल्ल-विहल्ल उसे फटकारते हुए बोले-“क्या तुम शत्रुओं से डरते हो? आगे क्यों नहीं बढ़ते ? तुमसे अच्छा तो पालतू कुत्ता होता है जो कि अपने स्वामी के प्रति वफादार होता है, जबकि तुम हमारे लिए वफादार नहीं हो। धिक्कार है तुम पर ऐसे मर्मान्तक बचन सुनकर उस वफादार हाथी ने दोनों को बलपूर्वक सूंढ से नीचे उतारा और स्वयं जलने अंगारों की खाई में कूद पड़ा। एक पशु में भी किनती कृतज्ञता, सज्जनता और धैर्य था। दुर्ध्यान से मृत्यु पाकर हाथी प्रथम नर्क में गया। ★४२★ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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