________________ वर्णन है / यह सूत्र उत्कालिक है / - आवस्सयसुत्तं-बत्तीसवें आवश्यक सूत्र में सामायिक आदि छहों आवश्यक का विस्तार से वर्णन है। परिशिष्ट परिचय-प्रथम परिशिष्ट में कल्पसूत्र है जो दशाश्रुतस्कंध का आठवाँ अध्ययन है। इसमें भगवान महावीर स्वामी, पार्श्वनाथ, अरिष्टनेमी और ऋषभदेव इन चारों तीर्थंकरों का जीवन चरित्र, स्थविरावली और समाचारी वणित है / द्वितीय परिशिष्ट में सविधि सायायिक सूत्र है। तृतीय परिशिष्ट में प्रतिक्रमण सूत्र विधि सहित दिया गया है। स्व० श्री डोशीजी सा. के स्वर्गवास के बाद मुझ पर कार्यभार विशेष रहा, साहित्य सामग्री भी कम उपलब्ध हुई और अन्य योग्य सहायक के अभाव में प्रूफ संशोधन का सारा कार्य मुझे ही करना पड़ा। अतः मैं जैसा चाहता था वैसा तो नहीं कर सका पर जो कुछ किया जा सका, वह प्रस्तुत है। इस प्रकाशन में दृढ़धर्मी सुश्रावक श्रीमान् जशवंतलालभाई शाह बम्बई निवासी का समय 2 पर मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा, इसके लिये मैं उनका हृदय से आभारी हूं। - सुज्ञ पाठकों एवं विद्वद्जनों से नम्र निवेदन है कि वे अशद्धियों के बारे में हमें सूचित करने का कष्ट करें ताकि सम्पूर्ण अनंगपविट्ट सुत्ताणि के प्रकाशन के साथ शुद्धिपत्र प्रकाशितं किया जा सके / जिन धर्मोपासक संघ संरक्षक दानवीर महानुभावों के उदारतापूर्ण सह- . योग से यह आगम सेवा बन सकी है। उन सभी का मैं आभारी हूं। आशा है जिनवाणी के रसिक महानुभावों को यह प्रकाशन उपयोगी लगेगा / हमारा प्रयास है कि शुद्धिपत्र के साथ अनंगपविट्ठ सुत्ताणि भाग 1-2 का संयुक्त प्रकाशन भी शीघ्र पाठकों की सेवा में पहुँचावें। .. __ इस पुस्तक में यदि कहीं कोई भूल रह गई हो या सिद्धांत के विरुद्ध प्रकाशन हुआ हो तो अनंत सिदों की साक्षी से "मिच्छामि दुक्कडं।" सैलाना -पारसमल चंडालिया दि. 11711984