Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ 602 अनंगपविद्वसुत्ताणि बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा पउमवरवेइया पण्णत्ता, अद्धजोयणं उर्ल्ड उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं जगईसमिया परिक्खेवेणं सव्वरयणामई अच्छा जाव पडिरूवा / तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तंजहा-वइ.. रामया णेमा एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया जाव णिच्चा // 4 // तीसे णं जगईए उप्पिं बाहिं पउमवरवेइयाए एत्थ णं महं एगेवणसंडे पण्णत्ते देसूणाई दो जोयणाई विक्खंभेणं जगईसमए परिक्खेवेणं वणसंडवण्णओ णेयव्वो // 5 // तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामएआलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं तणेहिं उवसोभिए, तंजहाकिण्हेहिं एवं वण्णो गंधो रसो फासो सद्दो पुक्खरिणीओ पव्वयगा घरगा मंडवगा पुढविसिलावट्टया य णेयव्वा, तत्थ णं बहवे यणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठति णिसीयंति तुयटृति रमंति ललंति कीलंति मोहंति पुरापोराणाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणा विहरति / तीसे णं जगईए उम्पिं अंतो पउमवरवेइयाए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पण्णत्ते, देसूणाई दो जोयणाई विखंभेणं वेइयासमएण परिक्खेवेणं किण्हे जाव तणविहूणे णेयव्वे // 6 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कइ दारा पण्णत्ता ? गोयमा! चत्तारि दारा प०, तं०-विजए 1 वेजयंते 2 जयंते 3 अपराजिए 4 // 7 // कहि णं भंते! जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साई वीइवइत्ता जंबुद्दीवदीवपुरथिमपेरंते लवणसमुद्दपुरथिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीयाए महाणईए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स० विजए णामं दारे पण्णत्ते, अट्ठ जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावइयं चैव पवेसेणं, सेए वरकणगथूभियाए जाव दारस्स वण्णओ जाव रायहाणी / एवं चत्तारि वि दारा सरायहाणिया भाणियव्वा // 8 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य दारस्स य केवइए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! अउणासीइं जोयणसहस्साई बावण्णं च जोयणाई देसूणं च अद्धजोयणं दारस्स य 2 अबाहाए अंतरे पण्णत्ते, गाहा-अउणासीइं सहस्सा बावण्णं चेव जोयणा हुँति / ऊणं च अद्धजोयण दारंतर जंबुद्दीवस्स // 11 // 9 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पण्णत्ते ? गो० ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेपो दाहिणवणसमुद्दस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुद्दस्त पचत्यिमेणं पञ्चस्थिम

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