Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text ________________ जंबुद्दीवपण्णत्ती व. 2 611 अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी छण्णउइ अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा धणूइ वा जुगेइ वा मुसलेइ वा णालियाइ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं चुत्तारि गाउयाइं जोयणं, एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयगं उड़े उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवणं, से णं पल्ले एगाहियबेहियतेहिय उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संमटे सण्णिचिए भरिए वालपकोडीणं / ते णं वालग्गा णो कुत्थेजा, णो परिविद्धंसेजा, णो अग्गी डहेजा, णो वाए हरेजा, णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, तओ णं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए पिल्लेवे णिट्ठिए भवइ, से तं पलिओवमे। एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं // 1 // एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा 1 तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा 2 दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदुस्समा 3 एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दुस्समसुसमा 4 एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समा 5 एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा 6, पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा 1 एवं पडिलोमं णेयव्वं जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा 6, दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ. कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीउस्सप्पिणी // 19 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भरहे वासे इमीसे उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ? गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था से जहाणांमए-आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए, तंजहा-किण्हेहिं जाव सुक्किल्लेहि, एवं वण्णो गंधो फासो सद्दो य तणाण य मणीण य भाणियव्वो जाव तत्थ णं बहवे मणुस्सा मणुस्सीओ य आसयंति सयंति चिटुंति णिसीयंति तुय{ति हसंति रमंति ललंति, तीसे णं समाए भरहे वासे बहवे उद्दाला कुद्दाला मुद्दाला कयमाला णट्टमाला दंतमाला णागमाला सिंगमाला संखमाला सेयमाला णामं दुमगणा पण्णत्ता, कुसवि..कुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीयमंतो पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य उच्छण्णपडिच्छण्णा सिरीए अईव 2 उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ...बहवे भेरुतालवणाई हेरुतालवणाई मेरुतालवणाई पभयाल
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