Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 18
________________ जंबुद्दीवपण्णती व. 2 606 ते णं मृणुया बहुसंघयणा जाव अप्पेगइया सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति * // 16 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे वासे उसभकूडे णामं पव्वए पण्णत्ते ? गोयमा ! गंगाकुंडस्स पचत्थिमेणं सिंधुकुंडस्स पुरत्थिमेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे वासे उसहकूडे णाम पव्वए पण्णत्ते, अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं, दो जोयणाई उव्वेहेणं, मूले अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं मज्झे छ जोयणाई विक्खंभेणं उपरिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं, मूले साइरेगाइं पणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मझे साइरेगाइं अट्ठारस जोयणाइं परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाई दुवालस जोयणाइं परिक्खेवेणं, (पाठांतरंमूले बारस जोयणाई विखंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं उप्पिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं, मूले साइरेगाई सत्ततसं जोयणाइं परिक्खेवेणं मज्झे साइरेगाई पणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं उबि साइरेगाइं बारस जोयणाई परिक्खेवेणं) मले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वजंबूणयामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे, से णं एगाए परमवरवेइयाए तहेव जाव भवणं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसऊणं कोसं उड्ढे उच्चत्तेणं, अट्ठो तहेव, उप्पलाणि पउमाणि जाव उसमे य एत्थ देवे महिड्डिए जाव दाहिणेणं रायहाणी तहेव मंदरस्स पव्वयस्स जहा विजयस्स अविसेसियं // 17 // पढमो वक्खारो समत्तो / / . बीओ वक्खारो जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे कइविहे काले पण्णत्ते? गो० ! दुविहे काले पण्णत्ते, तंजहा-ओसप्पिणिकाले य उस्सप्पिणिकाले य, ओसप्पिणिकाले णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गो० ! छव्विहे पण्णत्ते, तं०-सुसमसुसमाकाले 1 सुसमाकाले 2 सुसमदुस्समाकाले 3 दुस्समसुसमाकाले 4 दुस्समाकाले 5 दुस्समदुस्समाकाले 6 उस्सप्पिणिकाले णं भंते ! कइंविहे प० ? गो० ! छव्विहे पण्णत्ते, सं०-दुस्समदुस्समाकाले 1 जाव सुसमसुसमाकाले 6 / एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उम्सा . * विजाहरसमणदंसणओ, कम्माण खओवसमविचित्तयाए जाइसरणेणं, चक्कवट्टिकाले अणुग्घाडियगुहाजुयलावट्ठाणेणं (सयं गमणा), चक्किकाले य तत्थुववण्णा वि इह तित्थयराइपासे धम्मसवणाइणा लद्धबोही अणुकमेणं पत्तकेवला तत्थ वि सिझंति अहवा तव्वासवासिणो इहमागंतूण तहाविधम्ममायरित्तु सिझंति अदुवा साहरणं पडुच्च तत्थ सिद्धी संभवेइत्ति / पपसारा

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