Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 17
________________ अनंगपविट्ठसुत्ताणि सब्बे रयणामया होंति ॥१॥माणिभद्दकूडे 1 वेयकूडे 2 पुण्णभद्दकूडे 3 एए तिण्णि कूडा कणगामया सेसा छप्पि रयणामया, दोण्हं वि सरिसणामया देवा कयमालए चेव णट्टमालए चेव, सेसाणं छण्हं सरिसणामया-जण्णामया य कूडा, तण्णामा खलु हवंति ते देवा / पलिओवमट्टिईया हवंति पत्तेयपत्तेयं // 1 // रायहाणीओ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियं असंखेजदीवसमुद्दे वीईवइत्ता अण्णमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं रायहाणीओ भाणियव्वाओ विजयरायहाणीसरिसयाओ // 14 // से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-चेयड्ढे पव्वए वेयड्ढे पव्वए ? गोयमा ! वेयले णं पव्वए भरहं वासं दुहा विभयमाणे 2 चिट्ठइ, तंजहादाहिणड्डभरहं च उत्तरड्डभरहं च, वेयवगिरिकुमारे य...महिड्डिए जाव पलिओवमहिइए परिवसइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चइ-वेयड्ढे पव्वए 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! वेयड्स्स पव्वयस्स सासए णामधेज्जे पण्णत्ते जं ण कयाइ ण आसि ण कयाइ ण अस्थि ण कयाइ ण भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य धुवे शियए सासए अक्खए अबए अवट्ठिए णिच्चे // 15 // कहि णं भंते !. जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे णामं वासे पण्णत्ते ? गोयमा ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपब्वयस्स दाहिणेणं वेयड्ढस्स पव्वयस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरस्थिमेगं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे णामं वासे पण्णत्ते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलियंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे पुरथिमिलाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुढे पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहिं तिभागपविभत्ते दोण्णि अट्टतीसे जोयणसए तिण्णि य एगूणवीसहभागे जोयणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं अट्ठारस बाणउए जोयणसए सत्त य एगूणवीसइभागे जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्ठा तहेव जाव चोद्दस जोयणसहस्साई चत्तारि य एकहत्तरे जोयणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोयणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं पण्णत्ता, तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं चोद्दस जोयणसहस्साइं पंच अट्ठावीसे जोयणसए एक्कारस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवणं / उत्तरडभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पण्णत्ते ? गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामए-आलिंगपुक्खरेइ वा जाव कित्तिमोहं चेव अकित्तिमेहिं चेव, उत्तरड्डभरहे णं भंते ! वासे मणुयाणं केरिसए आयारभावपडोयारे पण्णत्ते ? गं यमा!

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