Book Title: Anangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text ________________ 606 अनंगपविटुसुत्ताणि वमट्ठिइया परिवसति / तासि णं आमिओगसेढीणं बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ वेयडस्स पव्वयस्स उभओ पासिं पंच 2 जोयणाई उड्डे उप्पइत्ता एत्थ णं वेयड्स्स पव्वयस्स सिहरतले पण्णत्ते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दस जोयणाई विक्खंभेणं पव्वयसमगे आयामेणं, से णं इक्काए पउमवरवेइयाए इक्केणं वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, पमाणं वण्णओ दोण्हंपि, वेयडस्स णं भंते ! पव्वयस्स सिहरतलस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पण्णत्ते ? गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामए-आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहि स्वसोभिए जाव वावीओ पुस्खरिणीओ जाव वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव भुंजमाणा विहरंति, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे वेयड्डपव्वए कइ कूडा प० ? गो० ! णव कूडा प०, तं०-सिद्धाययणकूडे 1 दाहिणड्डभरहकूडे 2 खंडप्पवायगुहाकूडे 3 माणिभद्दकूडे 4 वैयकूडे 5 पुण्णभद्दकूडे 6 तिमिसगुहाकडे 7 उत्तरड्डभरहकूडे 8 वेसमणकूडे 9 // 12 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे वेयड्डपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पण्णत्ते ? गो० ! पुरथिमलवणसमुद्दस्स पञ्चत्थिमेणं दाहिणड्डभरहकूडस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढे पव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पण्णत्ते, छ सक्कोसाइं जोयणाई उड्डे उच्चतेण मूले छ सक्कोसाई जोयणाई विक्खंभेणं मझे देसूणाई पंच जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं साइरेगाइं तिण्णि जोयणाई विक्खंभेणं मूले देसूणाई वीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मज्झे देसूणाई पण्णरस जोयणाई परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाइं णव जोयणाई परिक्खेवेणं, मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए. गोपुच्छसंठाणसंठिए; सव्वरयणामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे / ते ण एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिस्वित्ते, पमाणं वण्णओ दोहंपि; सिद्धाययणकूडस्स णं उभि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामएआलिंगपुक्खरेइ वा जाव वाणमंतरा देवा य जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पण्णत्ते, कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूर्ण कोसं उड्डे उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसण्णिविटे खंभुग्गय-सुकयवहरवेइआ-तोरण-वररइयसाल-भंजिअ-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठलट्ठसंठिय-पसत्थवेरुलिय-विमल. खंभे णाणामणिरयणखचिअ-उजल-बहुसमसुविभत्त-भूमिभागे ईहामिग-उसभ-तुरगणर-मगर-विहग-वालग-किण्णर-हरु-सरभचमरकुंजरवणलय-पउमलयभत्तिचित्ते कंचण
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