Book Title: Alamkaradappana Author(s): H C Bhayani Publisher: L D Indology AhmedabadPage 47
________________ उवमाणेणं जा देस-काल-किरिआवरोह-पडिएणं । उवमेअस्स सरिसं लहइ गुणेणं खु सा उवमा ॥ ११ ॥ पडिवत्थु गुण - कलिआ असमा माला अ विगुण-रूवा अ । संपूण्णा गूढा संखला अ लेसा अदर - विअला ॥१२॥ एक्क-कमा पसंसा तलिच्छा णिदिआ अइसआ अ । सुइ-मिलिआ तह अ विअप्पिआ अ सत्तरह उवमाओ ॥१३॥ जिवत्थुए सा उवमा जा समाण - वत्थुरूआ अ । 'इव'-'मिव’'पिव’इ-रहिआ विसरिसगुण-पअअए आर्हितो ॥१४॥ पडिवत्थूवमा जहा : संपत्त-तिवग्ग - सुहा थोवा पुहवीअ होंति णार - पहा । महुर-फल(?) [-कुसुमा] सिणिद्ध-पत्ता तरु विरला ॥१५॥ गुण- कलिआ सा भण्णइ गुणेही दोहिं पि सरिसआ जत्थ । उवमेओ किर जीए उवमाणं होइ सा समा ॥१६॥ गुण- कलिआ जहा : जंपअअ-लअअ ' व्व णव - कुसुम - सुंदरा सहइ विंझ । कडए' व वच्छ-त्थलम्मि लच्छि तमाल-नीले महुमहस्स ॥१७॥ असमा जहा : जोहा निम्मल - लाअण्ण-चिंचइअ - सअल - भुअणाइ । तुह तुझ व्व किसोअरि समाण-रूआ जए णत्थि ॥१८॥ सा माला उवमाणाण जत्थ विविहाण होइ रिछोली । बिउण- सरिसोवमा जा विणिम्मिआ बिउण - रूअ ति ॥१९॥ Jain Education International 38 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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