Book Title: Alamkaradappana Author(s): H C Bhayani Publisher: L D Indology AhmedabadPage 49
________________ 40 सुरसरिसमापखेवं(?) विअलइ स च्चेव होइ दरविअला। एक्कक्कमोवमाणेही होइ एक्कक्कमा णाम ॥२८॥ दरविअला जहा : पीण-त्थणी स-रूआ पह-पेसिअ लोअला स-उक्कण्ठा। लिहिय व्व दार-लग्गा म चलई तुह दंसणासाए ॥२९॥ एकक्कमा जहा : पअइ-विमलाउ दोण्णि-वि विबुह-जणे निव्वुई-कराओ अ। एक्कक्कम-सरिसाओ तह कित्ती तिअस-सरिआ अ ॥३०॥ निंदाए सलहिज्जइ उवमेओ जत्थ सा पसंस त्ति । अणुहरइ अइसएणं जा स च्चिअ होइ तल्लिच्छा ॥३१॥ । निंदा-पसंसा जहा : तुह संढस्स व नरवअइ भुज्जइ भिच्चेही पाअडा लच्छी। हिअआई (हिअअंपि?) काअरस्स व वअणिज्ज-भएण ओसरइ ॥३२॥ तल्लिच्छोवमा जहा : पाउस-निसासु सोहइ जल-प्पवहेहि पूरिआ पुहई। चल-विज्जु-वलय-वाडण-निवडिअ-णक्खत्त-सरिसेही ॥३३॥ उवमेओ निदिज्जइ थुइ-ववएसेण जत्थ सा निंदा । अतिसअ-भणिआ स च्चिअ अतिसइआ भण्णए उवमा ॥३४॥ थुइ-निदोवमा जहा : तंबोल-राअअ मिलिअंजणेण अहरेण सोहसि पओसे। दर-परिणअ-जंबूहल-कंति-सरिसेण पिहु-अच्छि ॥३५॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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