Book Title: Agnat Pratima Ki Khoj Author(s): Rekha Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 8
________________ जैन चित्रकथा पुत्र! मेरे कष्टों की चिन्ता नकर मेरी वृद्ध अवस्था है।मैं अपना शेष जीवन अरिहन्त भगवान की शरण में बिताना चाहती हूँ, गोम्मटेश्वर बाहुबलि के दर्शन कराकर मैरी अभिलाषा पूरी कर। अच्छा माँ। यात्रा के लिए (तैयार रहें। आवश्यक तैयारी और व्यवस्था के बाद अभियान दल प्रतिमा की खोज के लिए यात्रा प्रारम्भ करेगा। आचार्य नेमिचन्द सिद्धांत चक्रवतीं। चामुण्डशय काललदेवी अनेक युवक-युवतियों का यात्री दल जा रहा है। हिंसक पशुओ से भरे इस भयानक जंगल में प्रतिमा होने के कोई चिन्ह नहीं दिखते। Sssxe । Durati.mili -di MPIANIMAPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24